गाय व भैंस के दूध में अंतर :- पं० भरत उपाध्याय

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भैंस अपने बच्चे से पीठ फेर कर बैठती है चाहे उसके बच्चे को कुत्ते खा जायें वह नहीं बचायेगी, जबकि गाय के बच्चे के पास अनजान आदमी तो क्या शेर भी आ जाये तो जान दे देगी, परन्तु जीते जी बच्चे पर आँच नही आने देगी। इसीलिए उसके दूध में स्नेह का गुण भरपूर होता है।भैंस को गन्दगी पसन्द है, कीचड़ में लथपथ रहेगी,पर गाय अपने गोबर पर भी नहीं बैठेगी उसे स्वच्छता प्रिय है। भैंस को घर से 2 किमी दूर तालाब में छोड़कर आ जाओ वह घर नहीं आ सकती उसकी याददास्त जीरो है। गाय को घर से 5 किमी दूर छोड़ दो। वह घर का रास्ता जानती है,आ जायेगी। गाय के दूध में स्मृति तेज है।दस भैंसों को बाँधकर 20 फुट दूर से उनके बच्चों को छोड़ दो, एक भी बच्चा अपनी माँ को नहीं पहचान सकता।जबकि गौशालाओं में दिन भर गाय व बछड़े अलग-अलग शैड में रखते हैं, सायंकाल जब सबका माता से मिलन होता है तो सभी बच्चे (हजारों की स॔ख्या में) अपनी अपनी माँ को पहचान कर दूध पीते हैं, ये है गाय दूध की याददास्त। जब भैंस का दूध निकालते हैं तो भैंस सारा दूध दे देती है, परन्तु गाय थोड़ा-सा दूध ऊपर चढ़ा लेती है, और जब उसके बच्चे को छोड़ेंगे तो उस चढ़ाये दूध को उतार देती है।
ये गुण माँ के हैं जो भैंस मे नहीं हैं। गली में बच्चे खेल रहे हों और भैंस भागती आ जाये तो बच्चों पर पैर अवश्य रखेगी…
लेकिन गाय आ जाये तो कभी भी बच्चों पर पैर नही रखेगी।
भैंस धूप और गर्मी सहन नहीं कर सकती..जबकि गाय मई जून में भी धूप में बैठ सकती है।भैंस का दूध तामसिक होता है..
जबकि गाय का सात्विक। भैंस का दूध आलस्य भरा होता है, उसका बच्चा दिन भर ऐसे पड़ा रहेगा जैसेे भाँग खाकर पड़ा हो। जब दूध निकालने का समय होगा तो मालिक उसे उठायेगा…
परन्तु गाय का बछड़ा इतना उछलेगा कि आप रस्सा खोल नहीं पायेंगे।फिर भी लोग भैंस खरीदने में लाखों रुपए खर्च करते हैं..जबकि गौमाता का दूध अमृत समान होता है।।

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