सर्वश्रेष्ठ जीवन के उत्तम उपाय :- पं0 भरत उपाध्याय

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जिस शरीर के साथ हम पैदा हुए हैं उसके जिम्मेदार हम नहीं हैं, परंतु जिस चरित्र और किरदार के साथ हम विदा होंगे उसके पूरे जिम्मेदार हम स्वयं होंगे। केवल चाहने मात्र से जीवन कभी भी सम्माननीय एवं अनुकरणीय नहीं बन जाता है। सहनशीलता का गुण ही किसी के जीवन को सत्कार के योग्य बना देता है। सम्मानपूर्ण जीवन के लिए इच्छा से अधिक तितिक्षा की आवश्यकता होती है । यदि जीवन में सहनशीलता होगी तो व्यक्ति घर -परिवार अथवा समाज में स्वत:ही सबका प्रिय बन जाता है। महत्वपूर्ण बातें-कन्याओं का विवाह 21 से 25 वे वर्ष तक, और लड़कों का विवाह 25 से 29वें वर्ष की आयु तक हर स्थिति में हो जाना चाहिए! फ्लैट न लेकर जमीन खरीदो, और उस पर अपना घर बनाओ! वरना आपकी संतानों का भविष्य पिंजरे के पंछी की तरह हो जाएगा! गांव से नाता जोड़ कर रखें ! और गांव की पैतृक सम्पत्ति, और वहां के लोगों से नाता, जोड़कर रखें ! अपनी संतानों को अपने धर्म की शिक्षा अवश्य दें, और उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर अवश्य ध्यान दें ! किसी भी और आतंकवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेन-देन, व्यवहार करने से यथासंभव बचें ! घर में बागवानी करने की आदत डालें, (और यदि पर्याप्त जगह है,तो देशी गाय पालें। होली,दीपावली, विजयादशमी, नवरात्रि, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, राम नवमी, आदि जितने भी त्यौहार आयें, उन्हें आफिस/कार्य से छुट्टी लेकर सपरिवार मनाये।(हो सके तो पैदल, व परिवार के साथ ) प्रात: काल 5-5:30 बजे उठ जाएं, और रात्रि को 10 बजे तक सोने का नियम बनाएं ! सोने से पहले आधा गिलास पानी अवश्य पिये (हार्ट अटैक की संभावना घटती है) यदि आपकी कोई एक संतान पढ़ाई में अक्षम है, तो उसको कोई भी हुनर (Skill) वाला ज्ञान जरूर दें ! आपकी प्रत्येक संतान को कम से कम तीन फोन नंबर स्मरण होने चाहिए, और आपको भी! जब भी परिवार व समाज के किसी कार्यक्रम में जाएं, तो अपनी संतानों को भी ले जाएं ! इससे उनका मानसिक विकास सशक्त होगा ! परिवार के साथ मिल बैठकर भोजन करने का प्रयास करें, और भोजन करते समय मोबाइल फोन और टीवी बंद कर लें ! अपनी संतानों को बालीवुड की कचरा फिल्मों से बचाएं, और प्रेरणादायक फिल्में दिखाएं ! जंक फूड और फास्ट फूड से बचें ! सांयकाल के समय कम से कम 10 मिनट भक्ति संगीत सुने, बजाएं ! दिखावे के चक्कर में पड़कर, व्यर्थ का खर्चा न करें ! दो किलोमीटर तक जाना हो, तो पैदल जाएं, या साईकिल का प्रयोग करें ! अपनी संतानों के मन में किसी भी प्रकार के नशे (गुटखा, तंबाखू, बीड़ी, सिगरेट, दारू…) के विरुद्ध चेतना उत्पन्न करें, तथा उसे विकसित करें ! सदैव सात्विक भोजन ग्रहण करें, अपने भोजन का ईश्वर को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण करें ! अपने आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें, व नित्य प्रति दिन पूजा, दीपदान अवश्य करें ! घर में पुत्र का जन्म हो या कन्या का, खुशी बराबरी से मनाएँ ! दोनों जरूरी है ! अगर बेटियाँ नहीं होगी तो परिवार व समाज को आगे बढाने वाली बहुएँ कहाँ से आएगी और बेटे नहीं होंगे तो परिवार समाज व देश की रक्षा कौन करेगा !

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