वक्त आपका है,चाहो तो सोना बना लो और चाहो तो सोने में गुजार दो :- पं०भरत उपाध्याय

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जब कथा और भजन अच्छा न लगे तो समझें कि आपत्ति और विपत्ति दोनों सामने दिखाई दे रही है। क्योंकि जीवन में जब विपत्ति आने वाली होती है तब भगवान का भजन और भगवान का चिंतन हमें अच्छा नहीं लगता है। हमारे हिन्दू धर्म के भगवान के सामने नशा करके और डीजे लगाकर अश्लील गाने लगाकर ये भद्दा नाच करने की बीमारी क्यों हो गयी है। घर मे लाडली बेटी का विवाह है, दूल्हे राजा अपनी होने वाली गृहलक्ष्मी को लेने द्वार पर पहुँचा है और डी जे वाले बजाते हैं – तू चीज बड़ी है मस्त मस्त… अपनी तो जैसे तैसे… आपका क्या होगा जनाबे आली… ये कलंक हमारे हिन्दू समाज पर ही क्यों लगा है, अन्य धर्म के लोग अपने धार्मिक, पारिवारिक, सामाजिक कार्यक्रम में ऐसी फालतूगिरी नहीं करते। डीजे पर अश्लील गाने लगाकर लाखों रुपया खर्च कर हम अपने ही इष्ट का अपने सनातन संस्कृति पारिवारिक परम्परा का अपमान कर रहे हैं। हमें अपने त्यौहर बड़े उत्साह और बड़े पैमाने पर मनाने चाहिए साथ ही पारम्परिक वाद्य, ढोल मजीरो, पारम्परिक पोशाक में बड़े ही शान से प्रत्येक हिन्दू त्यौहारों में दिखनी ही चाहिए।
तभी हमारी सनातन संस्कृति टिकेगी. देखिये आप खुद ही विचार करें, और दूसरों को भी विचार करने केलिए प्रेरित करें।
अभी नवरात्रि, गणेशोत्सव, दशहरा आदि त्योहारों में ध्यान रखें और कोई ऐसा करता हो उन्हें समझाए. समाज के जो कर्ता धर्ता बनकर बैठे हैं उनको भी अपने अपने सामाजिक संगठनों के प्रभाव व दबाव पूर्वक ऐसे करने वालो को बलपूर्वक रोकने का प्रयास करना चाहिये। फूहड़ गानों के जगह हिन्दू भक्ति गीत व संगीत पर आधारित श्लोक व हरि धुन लगाएं । आधे अधूरे, कटे फटे, भड़काऊ वस्त्र पहनना, अंतर्जातीय प्यार और विवाह करना, माता पिता को रूढीवादी बताना, लिव रिलेशनशिप में बिंदास जीवन बिताना, बिना शादी किए अपने होने वाली जीवनसंगिनी के साथ अमर्यादित, अभद्र फोटो विडिओ शूटिंग करा दुनिया को दिखाना आदि अनेक उदाहरण है जो बीमारी केवल और केवल हिन्दू समाज को ही लगी है।हिंदू संस्कृति का जितना नुकसान स्वयं हमने किया है, उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अफसोस, क्या हम अपने घर परिवार के कोई भी आयोजन में जस मंडली, भजन मंडली, फाग मंडली, महिला मंडली, संस्कृत स्तोत्र उच्चारण करने वाले विद्वानों तथा लोकल व पारंपरिक वाद्य यंत्रों वाले कलाकारों को नही बुला सकते ? जब देश के सबसे बड़े अमीर, अम्बानी अपने बेटे की शादी करते है तो देवी स्तोत्र, देवता आदि की स्तुति में सम्पन्न करते हैं. फिर आप और हम क्यों नहीं ?अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ अपने परिवार, समाज, संस्कृति व धर्म से भी जोड़ें।

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