वीटीआर आइए, थारुओं के गांव में ठहरिए और खान-पान का लुत्फ उठाइए।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पर्यटन क्षेत्र का दायरा सरकार बढ़ाने जा रही है।इको टूरिज्म के साथ ही अब जंगल के किनारे बसे थारु-आदिवासी के गांवों को टूरिज्म से जोड़ा जाएगा। आगामी पर्यटन सत्र में यहां पहुंचने वाले सैलानी थारु जनजाति की विशेष संस्कृति से लेकर खास पकवानों तक का लुफ्त उठा सकेंगे। स्टे होम योजना को धरातल पर लाने के लिए इससे न केवल इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। जंगल के दस किलोमीटर के परिधि मेंआने वाले स्थानीय निवासियों के घरों को स्टे होम बनाकर सैलानियों को ठहराया जाएगा। देश विदेश से आने वाले सैलानियों को आदिवासी कल्चर के बारे में जानकारी हासिल होगी, और वे उनके खान-पान वेशभूषा के बारे में भी वे जान सकेंगे। पारंपरिक भोजन का स्वाद लेने से लेकर आदिवासी नृत्य देखने तक, पर्यटक ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए गए स्वदेशी उत्पादों को भी देख सकते हैं। इससे, बदले में, जंगलों पर आदिवासियों की निर्भरता भी कम होगी और पशु-मनुष्य संघर्ष भी कम होगा। इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर अमित कुमार ने बताया कि थारू जनजातीय समुदाय को पर्यटन मानचित्र पर लाने और लोगों को उनके तौर-तरीकों और जीवन शैली से परिचित कराने के प्रयास में वीटीआर के वनवर्ती गांवो में जल्द ही आदर्श होमस्टे की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जहां पर्यटकों को थारू संस्कृति की प्रामाणिकता और विशिष्टता का अनुभव करने का मौका मिलेगा। इसका उद्देश्य थारू संस्कृति को मुख्यधारा के विकास में लाना और उनकी आर्थिक उन्नति में योगदान देना है।इसके अलावा, पर्यटकों को थारू कलाकारों द्वारा लोक नृत्य और गीत प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा, जबकि थारू जनजातियों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प भी इन स्थानों पर प्रदर्शित किए जाएंगे।वीटीआर में जंगल सफारी के लिए आने वाले पर्यटक इस संस्कृति को देखेंगे।
सभी पर्यटकों को थारू थाली परोसी जाएगी। इसमें थारू जनजाति के कुछ खास व्यंजन और कुछ खास अचार भी शामिल होंगे। ये घर पूरी तरह से थारू आदिवासियों के घरों जैसे होंगे। पर्यटकों को थारु जनजातियों की संस्कृति को समझने-जानने का मौका करीब से मिलेगा।

उनके पारंपरिक खान पान का आनंद उठा सकेंगे। वन विभाग ने वनवर्ती गांवों को पर्यटन के केंद्र में रखकर विकसित करने की योजना बनाई है। इससे यहां के ग्रामीणों को रोजगार तो मिलेगा ही, साथ ही साथ पर्यटको को ग्रामीण परिवेश में रहने का मौका मिलेगा। बताते चलें कि वीटीआर पर्यटन के क्षेत्र में काफी अग्रसर हो रहा है।यहां काफी दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं सरकार जिस तरह से पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करा वाल्मीकिनगर को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा दे रही है।

आदिवासी संस्कृति के रंग मे रंगेंगे सैलानी

यहां आने वाले देसी विदेशी सैलानी इन गांवों में आदिवासी संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे। आदिवासी संस्कृति के अनुरूप बने आवासों में होम स्टे करेंगे। पर्यटक यहां आदिवासियों के घरों में रुककर उनकी संस्कृति के खानपान रहन-सहन वेशभूषा नृत्य तीज त्योहार रस्मों रिवाज से परिचित होंगे। आदिवासी खेती के तरीके और आदिवासी हथकरघा जैसे अनोखे आकर्षणों का इंतजाम इन गांवों में रहेगा।

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