नेपाल से आई बहू की, बढ़ सकती हैं मुश्किलें।

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विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान के तहत नेपाल में शादी करने वाले लोगों को अपनी पत्नी का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने में छूट रहे हैं पसीने

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। भारत और नेपाल के बीच बेटी रोटी का संबंध होने के बावजूद, विवाह और नागरिकता के मामले में कुछ कानूनी अड़चनें आड़े आ रही हैं। यदि कानूनी प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जाता है, तो बहू को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

कानूनी प्रक्रिया

भारत में विवाह करने के लिए, कुछ कानूनी औपचारिकताएं हैं। यदि इन औपचारिकताओें का पालन नहीं किया जाता है, तो बहू को कानूनी मान्यता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। इसके अतिरिक्त, नागरिकता प्राप्त करने के लिए भी कुछ नियम और शर्तें हैं, जिन्हें पूरा करना आवश्यक है।
यदि बहू भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं करती है, तो उसे कई अधिकारों और सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है।भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा का मतलब यह नहीं है कि विवाह और नागरिकता के मामलों में कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है। कुछ लोग इस भ्रम में रहते हैं कि खुली सीमा के कारण, वे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के विवाह कर सकते हैं और नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। यह एक गलतफहमी है। नेपाल से आई बहू के लिए आवश्यक है कि वह विवाह और नागरिकता से संबंधित सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करे। सात साल पूर्व मतदाता सूची में नाम शामिल होने व कई बार मतदान करने वाली भारत में ब्याही नेपाली महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वाल्मीकिनगर क्षेत्र में सैकड़ों ऐसी महिलाएं हैं, जिनका मायका नेपाल में है। हालांकि, सरकारी प्रविधान के तहत इन लोगों को विवाह प्रमाणपत्र और नागरिकता प्रमाणपत्र देना होगा। नागरिकता के लिए आवेदन करने पर भी एक माह में प्रमाणपत्र उपलब्ध होना आसान नहीं दिख रहा। ऐसी अधिकांश महिलाएं लोकसभा, विधानसभा व पंचायत चुनाव में मतदान भी कर चुकी हैं। वह सरकार की योजनाओं का लाभ भी उठा रही हैं, लेकिन चुनाव आयोग के ताजा आदेश के चलते वे परेशान हैं।
इनमें से अधिकांश के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और यहां तक कि पहचान पत्र भी है।

भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए भारतीय नागरिकता सूची आयोग द्वारा गहन पुनरीक्षण अभियान में नाम दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया गया है ।

वोटर लिस्ट से नाम कटा तो अधिकार भी खत्म
इन्हें यह डर सता रहा है कि यदि यह व्यवस्था लागू रही, तो
उनका नाम मतदाता सूची से कट सकता है। जिससे उनका मतदान, सरकारी योजनाओं में भागीदारी और अन्य संवैधानिक अधिकारों पर असर पड़ेगा। भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता सदियों से रहा है। सीमावर्ती इलाकों में अधिकांश युवक-युवतियों की शादी दोनों देशों में होती रही है। इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लेकिन सीमावर्ती इलाकों मे वर्षों से बिना इन प्रक्रियाओं का पालन करते हुए लोग रहते आ रहें हैं। अधिकांश परिवारों को इस प्रक्रिया की जानकारी भी नहीं है। ऐसे में तो इनके पास विवाह निबंधन का प्रमाण पत्र भी नहीं है। वहीं सीमावर्ती क्षेत्र में फर्जी वोटरों की मौजूदगी की आशंका जताई गई है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए खतरा है। इस समस्या से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू किया है, जिसका उद्देश्य फर्जी मतदाताओं की पहचान कर सूची को शुद्ध करना है। इस प्रक्रिया में मतदाता पहचान पत्रों की जांच, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के मिलान के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर सत्यापन किया जा रहा है। इस बाबत बगहा दो वीडियो बिड्डू कुमार राम ने बताया कि इस दिशा में कड़े कदम उठा रहे हैं, जिसमें दस्तावेजों की गहन जांच और संदिग्ध मामलों में कार्रवाई शामिल है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि वैध नागरिकों को इस प्रक्रिया में कोई असुविधा न हो।
सरकार का प्रयास है कि पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से इस समस्या का समाधान किया जाए, ताकि क्षेत्र में विश्वास और स्थिरता बनी रहे।

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