फायर सीजन के बाद वीटीआर में ऑपरेशन मानसून की शुरूआत।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में फायर सीजन के समाप्ति के पश्चात ऑपरेशन मानसून चलाया जा रहा है। जिससे बाघ सहित अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। ऐसे में वनकर्मी फायर सीजन गुजर जाने के बाद आपरेशन मानसून में जुट गए हैं। गश्ती टीम का सघन दौरा जारी है। वीटीआर में प्रतिवर्ष फायर सीजन समाप्त होने के बाद ऑपरेशन मानसून के तहत बाघों की सुरक्षा का अभियान चलाया जाता है। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए टाइगर रिजर्व प्रशासन द्वारा उपलब्ध सारे संसाधन इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ताकि, शिकारियों से बाघों की सुरक्षा की जा सके। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की सीमा उत्तर प्रदेश एवं नेपाल से लगती है, जो बेहद संवेदनशील है। यहां शिकारियों के घुसने की संभावना हमेशा बनी रहती है। बाघों की सुरक्षा के लिए यहां पैदल, हाथी,एवं खोजी कुत्तों द्वारा गश्ती कराई जाती है। जिससे कि यहां किसी भी संदिग्ध के घुसने की संभावना न रहे।

वनकर्मियों के साथ एसएसबी भी रख रही नजर

एसएसबी 21वीं वाहिनी गंडक बराज पर तैनात जवानों, एवं वनकर्मियों के साथ संयुक्त रूप से डॉग स्क्वायड के साथ इंडो- नेपाल बॉडर स्थित वीटीआर के वन क्षेत्रों में गश्त किया जाता है। सीमावर्ती इलाकों में वन अपराध को रोकने के उद्देश्य से एसएसबी एवं वनकर्मियों के द्वारा नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र में वन्य जीवों की सुरक्षा, तस्करी और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए संयुक्त गश्त किया जाता है।
वन्यजीवों की सुऱक्षा में लगे ये वनकर्मी आठ से दस की संख्या में लंबी गश्त पर निकलते हैं। वीटीआर प्रशासन द्वारा इन वनकर्मियों को उन्नत तकनीक से लैस किया गया है। जिससे शिकार पर अंकुश लगाने के साथ प्राकृतिक संतुलन भी बना रहे। इस बाबत सीएफ नेशामणि ने बताया कि वीटीआर में पर्यटन सत्र समाप्त होने के बाद अब मानसून की तैयारियां जोरों पर हैं। इसके लिए उन संवेदनशील क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है, जहां पर वन्य जीवों के लिए खतरा हो सकता है। शिकारियों और तस्करों से निपटने के लिए सभी रेंज में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत किया जा रहा है। इस बार अधिकारी मानसून सत्र में तकनीक के बेहतर इस्तेमाल पर ध्यान दे रहे हैं।

बाढ़ की चपेट में आ जाता एक तिहाई एरिया

मानसून के दौरान वीटीआर का एक तिहाई एरिया बाढ़ की चपेट में आ जाता है। इसके अलावा बारिश के कारण जंगल के कच्चे रास्ते दलदली हो जाते हैं, जिनसे वाहनों से गश्त करने व शिकारियों का पीछा करने में काफी दिक्कत होती है। ऐसे में हाथियों की मदद ली जाती है। नेपाल सीमा से सटे वन क्षेत्रों में मानसून के दौरान शिकारियों की सक्रियता से इन्कार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि वीटीआर में सबसे ज्यादा यहां के स्थानीय शिकारी व नेपाली तस्कर लोकल शिकारियों के संपर्क में रहते हैं। जंगल एरिया में अक्सर शिकारियों द्वारा वन्यजीवों को फंसाने के लिए जाल भी लगाया जाता है।

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