




यह प्रशिक्षण वन विभाग के कर्मचारियों को शिकारियों की पहचान करने, उनके नेटवर्क को तोड़ने, और बाघों के आवासों की सुरक्षा में मदद करेगा
जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर। वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) में जाल से शिकार को लेकर प्रशिक्षण, विशेष रूप से बाघों की सुरक्षा और शिकारियों से निपटने के लिए वन कर्मियों को गुर सिखाए गए। यह प्रशिक्षण वन विभाग के कर्मचारियों को शिकारियों की पहचान करने, उनके नेटवर्क को तोड़ने, और बाघों के आवासों की सुरक्षा में मदद करेगा। इस प्रशिक्षण में
शिकारियों की पहचान पहचान उनके नेटवर्क का पता लगाना और उन पर नियंत्रण करने के लिए प्रभावी तरीके को विस्तार से बताया गया।
बाघों के आवासों की सुरक्षा
प्रशिक्षण में वन विभाग के कर्मचारी को बाघों के आवासों की पहचान करना, उनकी सुरक्षा करना, और उन्हें शिकारियों से बचाने बाबत जानकारी दी गई।
वन्य प्राणियों का शिकार किया तो होगी जेल, वन विभाग ने कसी कमर
वन विभाग ने वन्य जीवों को अवैध शिकार से बचाने के लिए कमर कस ली है शिकार करने वालों के खिलाफ एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन वाल्मीकि सभागार में किया गया। इस अवसर पर बाल्मीकि नगर रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि वन विभाग वन्य जीव संरक्षण से लेकर अवैध शिकार के खिलाफ मुहिम तेज करेगा।मानसून शुरू होते ही कई शिकारी इस क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं। वन्य जीवों का शिकार न हो, इसे लेकर विभाग गंभीर हो गया है। विभाग ग्रामीणों से भी आग्रह करेगा कि अवैध शिकार करने वालों की सूचना दी जाए ताकि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
सजा व जुर्माना दोनों हो सकता है
इस अवसर डब्ल्यू टीआई के प्रशिक्षक पावेल घोष ने बताया कि वन्य क्षेत्र में किसी भी प्रकार के जंगली जानवर का शिकार करना या उसे पकड़ना जुर्म है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ जुर्माने व सजा का प्रावधान है। विभाग अवैध शिकार करने वालों पर पूरी तरह से नजर रखे हुए है। किसी भी वन्य प्राणी को आग्नेय शस्त्र, जाल या फंदे से मारने पर तीन वर्ष की कैद या 25 हजार रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। वन्य प्राणी अपराध गैर जमानती है। ग्रामीण इलाकों के समीप जंगल में करंट प्रवाहित तार का जाल बिछाकर वन्य जीवों का शिकार किया जाता है। सांझ ढलते ही शिकारी खंभे में बिजली का तार फंसाकर छोड़ देते हैं। जंगल में स्वच्छंद विचरण करने वाले जीव चारा और पानी की तलाश में इधर उधर भटकते रहते हैं। इस दौरान करंट प्रवाहित तार की चपेट में आने से जानवरों की मौत हो जाती है। विद्युत प्रवाहित तार जानवरों को रात में ठीक से दिखाई नहीं देता, जिसके कारण वे तार के संपर्क में आ जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। जंगल में जंगली जानवरों के भ्रमण के आम रास्तों (एनिमल ट्रैल) पर शिकारी के द्वारा पतले-पतले तार सफ़ाई से लगा दिए जाते हैं और इन तारों को किसी बिजली के खंबे तक खींच कर करंट के तार से जोड़ दिया जाता है। जब वे इस विद्युतीय फंदे से अनभिज्ञ उस रास्ते से गुज़र रहे होते हैं तो ये विद्युतीय शिकारी तार इन्हे भी उसी क्रूरता से पल भर में मौत की नींद सुला देते हैं। मौके पर वनपाल आशीष कुमार, राकेश कुमार ,शशि रंजन कुमार, ओम प्रकाश सिंह, मनीष यादव, आदि मौजूद रहे।