वीटीआर में ट्रैकिंग के जरिए वादियों का लुत्फ उठाएंगे सैलानी, पहाड़, नदी व जंगल का अद्भुत नजारा।

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विवेक कुमार सिंह की रिपोर्ट..

वीटीआर में ई रिक्शा परिचालन, प्रदूषण से मिल रही मुक्ति

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वीटीआर में पर्यटक न केवल वीटीआर की हसीन वादियों का दीदार कर सकेंगे। बल्कि ट्रैकिंग के जरिए यहां की खूबसूरत वादियों का लुत्फ भी उठा सकते हैं। वाल्मीकिनगर में करीब 100 करोड़ की लागत से वाकिंग पिट का निर्माण किया गया है। ट्रैकिंग के लिए वन कर्मियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है।

वीटीआर में ई रिक्शा परिचालन, प्रदूषण से मिल रही मुक्ति

वीटीआर में पर्यटक वाल्मीकि आश्रम मंदिर तक ई-रिक्शा का आंनद लें रहें हैं। रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि ई रिक्शा के परिचालन से वीटीआर के क्षेत्रों में प्रदूषण से मुक्ति मिल रही है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि वाहनों के शोरगुल से वन्यजीव प्रभावित नहीं हो रहे। इसके अलावा पर्यटक बहुत ही कम बजट में वाल्मीकि आश्रम एवं जटाशंकर मंदिर का दर्शन भी कर सकते हैं। पर्यटकों के लिए यहां जंगल सफारी, रिवर राफ्टिंग, रिवर व्यू टावर और कौलेश्वर झूला समेत रहने के लिए बंबू हट, ट्री हट, इको हट आदि का शानदार इंतजाम भी हैं। वन महकमा ने देश-विदेश से आनेवाले पर्यटकों के लिए इको-फ्रेंडली सारी सुविधाएं उपलब्ध करायी है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ मिलकर बिहार राज्य पर्यटन निगम ने इको टूरिज्म पैकेज की शुरुआत की है। सैलानी इस पैकेज का लुत्फ़ उठा सकते हैं।

बताते चलें कि वीटीआर में बंबू हट, ट्री हट, होटल वाल्मीकि विहार आदि में पर्यटकों के रुकने और खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था है। वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व घूमने के दौरान पर्यटक जंगल सफारी, जंगल ट्रैकिंग और साइकिलिंग करने का आनंद उठा सकते हैं। गंडक नदी में बोटिंग और कौलेश्वर झूला से केनोपी वॉक का मजा ले सकते हैं।इसके साथ-साथ स्थानीय थारू-उरांव जनजाति के सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शामिल होने का मौका मिलेगा।

पहाड़,नदी व जंगल का अद्भुत नजारा

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में सफारी के रास्ते से लंबी घास और झुरमुटों से होते हुए वन्य जीव आसानी से देखे जा सकते हैं। इस जंगल का उत्तरी किनारा नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ है। जंगल का स्पर्श करते हुए गंडक नदी बहती है। इस वन्य क्षेत्र की हरियाली और खूबसूरती में कई गुना इजाफा करते हुए इसे बेहद आकर्षित बना देती है।

54 से अधिक बाघ

बाघों के लिए बेहतरीन क्षेत्र वाल्मीकि टाइगर रिजर्व परभक्षी जानवरों खासतौर से बाघों के लिए इसलिए भी बेहतरीन क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि यहां बाघ की पसंद का वन, दलदली क्षेत्र से लेकर घास के मैदान हैं। इसके अलावा उसके आहार के तौर पर कई प्रकार के हिरण, जंगली सूअर और नील गाय आदि बहुतायात में पाये जाते हैं। वर्तमान में बाघों की संख्या 54 से अधिक है। वीटीआर में बाघ, तेंदुआ, भालू, गौर, हिरण, लोमड़ी, जंगली कुत्ते, किंग कोबरा, अजगर, रसल वाइपर समेत कई अन्य जीव वास करते हैं।

नेचर गाइड की तैनाती

अपनी खूबसूरती के लिए वीटीआर को बिहार का स्वर्ग माना जाता है। पर्यटकों के आवासन व भाेजन तक के बेहतरीन प्रबंध यहां हैं। पर्यटक इस पूरे वन्य क्षेत्र का अच्छी तरह से दीदार कर सकें और उन्हें वन्य प्राणियों के बारे में सही जानकारी मिलें, इसके लिए वीटीआर में नेचर गाइड प्रत्येक पंजीकृत जिप्सी के साथ ले जाने की सुविधा है।

टॉवर के जरिए विभिन्न हिस्सों का दीदार

वीटीआर की गोद में यहां के सभी वन्यजीव अपनी स्वभाविक प्रवृत्ति के अनुरूप अठखेलियां कर सकें और पूरी तरह से महफूज रहें, इसके लिए यहां उनकी सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जाती है। ऊंचे-ऊंचे वॉच टॉवर के जरिए जहां पूरे इलाके की निगरानी की जाती है। टॉवर के जरिए पर्यटक भी विभिन्न हिस्सों का बेहतर तरीके से दीदार करते हैं।

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