




वाल्मीकि नगर से विवेक कुमार सिंह की रिपोर्ट..
वाल्मीकिनगर। गर्मी के शुरुआत के साथ ही वीटीआर के जंगलों के धधकने का सिलसिला तेज हो गया है। गर्म हवाओं के कारण जंगलों में आग फैल रही है और वन विभाग के लिए आग पर काबू पाना चुनौती बना हुआ है। तेज धूप और गर्म हवाओं के बीच खतरा और बढ़ गया है।
पारा चढ़ने के साथ धधके जंगल
वहीं पारा चढ़ने के साथ ही शनिवार की दोपहर वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र के कक्ष संख्या टी 37 रोहुआ नाला के जंगल में शरारती तत्वो ने आग लगा दी। जिससे लगभग तीन एकड़ जंगल जलकर खाक हो गया।हालांकि, वनकर्मियों की तत्परता से घंटो मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। जानकारो की माने तो तापमान बढ़ने के साथ ही क्षेत्र में दावानल की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही है। वन कर्मी आग बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब वीटीआर के जंगलों में आग लगी हो। इससे पहले भी वीटीआर की जंगलों में आग लग चुकी है। हरे भरें जंगलों में आग लगने के कारण भारी मात्रा में वन संपदा और वन्यजीवों का नुकसान होता है।
सखुआ का पत्ता होता है ज्वलनशील
इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया किआग शरारती तत्वों द्वारा लगाई जा रही हैं। आग लगने की सूचना मिलते ही फायर वाचर की टीमें आग पर काबू पाने के लिए भेजी जा रही हैं। यहां के जंगलों में सखुआ के पेड़ भारी मात्रा में हैं। बताते चलें कि सखुआ के पेड़ की पत्तियां काफी ज्वलनशील होती हैं। इनमें अगर एक बार आग लग जाए तो यह आग को और भी तेजी से फैलाने का काम करता है। बता दें कि वीटीआर के एक नहीं बल्की कई रेंजो में आग लग चुकी हैं।