हर-हर गंगे के जयकारे के साथ लाखों लोगों ने पवित्र नदियों में डुबकी लगाई :- पं0 भरत उपाध्याय

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मोक्षदायिनी नारायणी के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओ ने डूबकी लगाकर मोक्ष प्राप्त किया।वैसे तो कार्तिक का पूरा महीना स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ होता है। लेकिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन सबसे खास माना गया है। मान्यता है कि जो फल पूरे कार्तिक माह में किए धर्म-कर्म के कार्य करने से प्राप्त होता है। वह मात्र कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से मिल जाता है।
आज के दिन देव दिवाली भी मनाई जाती है, स्वंय देवतागण भी आज पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं और शाम को दिवाली मनाते हैं। अतः तालाब, सरोवर, नदी में दीपदान करने से पिछले कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं, व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। देवताओं की कृपा का पात्र बनता है। आज कार्तिक मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर इस माह के स्नान समाप्त हो गये। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान-पुण्य करने सें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनायी जाती है, जिसे देवताओं के दीवाली उत्सव के रूप में जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। अतः कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा एवं त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। आज स्नानार्थियों ने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा सुगंध, फूल, फल, पुष्प और वस्त्र अर्पित कर किया। देसी गाय का दीपक जलाए, तथा फल मिठाई आदि का भोग लगाए। ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड -27,29-38के अनुसार पूर्णिमा व व्रत के दिन स्त्री -सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।

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