धरती को बचाने के लिए प्रकृति के अनुकूल जीवन शैली अपनाएं :- पं० भरत उपाध्याय

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बगहा/मधुबनी। प्रख्यात पर्यावरणविद् एवं प्रकृति प्रेमी पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय ने 22अप्रैल पृथ्वी दिवस पर देश वासियों का आह्वान करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए धरती को संरक्षित रखना अनिवार्य है।धरती हमारी माता हैं। इंसान को जन्म भले ही एक महिला देती है, लेकिन उसका पालन पोषण इस धरती पर ही होता है। इंसान पृथ्वी प्रदत्त प्राकृतिक चीजों से ही जीवित रहता है। इंसान जन्म के बाद अपनी माता के बिना रह सकता है, लेकिन पृथ्वी और प्राकृतिक चीजों के बिना वह क्षण भर भी जीवित नहीं रह सकता। हम अपनी जरूरत के लिए प्राकृतिक संसाधनों का बहुत तेजी से दोहन कर रहे हैं। अगर इनका संरक्षण नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ी को पृथ्वी जीवित रहने के लिए कुछ भी नहीं दे पाएगी! धरती बचाने के लिए जारी प्रयासों में हम सभी लोग अहम योगदान दे सकते हैं। यदि हम जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन, वायु प्रदूषण नियंत्रण, केमिकल के इस्तेमाल में कमी, बिजली के इस्तेमाल में कमी करें तो धरती बची रहेगी।
वर्तमान समय में पृथ्वी पर हो रही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे पृथ्वी का पर्यावरण संतुलन गड़बड़ा रहा है। वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि के चलते कहीं अधिक वर्षा, बे मौसम वर्षा, कहीं सूखा, आंधी तूफान व जंगलों में आग का क्रम बढ़ रहा है ।अत्यधिक गर्मी से हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं , जिसके चलते समुद्र की जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि, अगर धरती के गर्म होने का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आने वाले कुछ दशकों में समुद्र के किनारे स्थित शहरों के बड़े हिस्से डूब जाएंगे। भारत के पास विश्व की मात्र2.5% भूमि है तथा करीब 6% जल प्रतिशत संसाधन है, जबकि यहां विश्व की करीब 18% आबादी निवास करती है। भारत बड़ी आबादी की जरूरत को पूरा करने के साथ जलवायु परिवर्तन से लड़ने के प्रयासों में अपनी भूमिका प्रभावित तरीके से निभा रहा है। प्रकृति के अनुकूल जीवन शैली अपना कर धरती को बचाने के प्रयासों में हम सभी अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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