बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में पोस्टमार्टम कक्ष नही वेटिंग रूम सहित आक्सीजन प्लांट बना सफेद हाथी।

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विभागीय उदासीनता के कारण सारी योजनाएं सिर्फ दिखावा।

बगहा। जीते जी तो कष्ट होता ही है लेकिन मरने के बाद भी मृत्यु कष्ट दायक हो तो किसे दोष दे। पुरानी योजनाओं में मिट्टी डाल कर ढक दी गई हो तो किसे दोष दें। बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में उपलब्ध सुविधाएं विभागीय उपेक्षा के कारण धरातल पर दिख ही नहीं रही हैं। विभाग इसकी सुधि न लेकर केवल जांच की खानापूरी में ही लगा हुआ है। अनुमंडलीय अस्पताल में 58 लाख रुपये से बना आधुनिक भवन बिना उपयोग का ही जर्जर हो गया। कारण कि विभाग ने इसको हस्तगत नहीं किया। अब यह वेटिंग रूम का काम कर रहा है। बता दें कि पूर्व सांसद कैलाश बैठा की निधि से तीन दशक पूर्व एक कक्ष का पोस्टमार्टम कक्ष बनाया गया था। उसी जर्जर कक्ष में पोस्टमार्टम किया जाता है। अज्ञात शव को पहचान के लिए इसी जर्जर कक्ष में रखा जाता है। कोई शव आ गया तो चिकित्सक शव के रहते पोस्टमार्टम करने को मजबूर रहते हैं।

दूसरी ओर आधुनिक पोस्टमार्टम कक्ष 58 लाख से बना बगैर उपयोग के ही विभागीय उदासीनता के कारण जर्जर हो गया है। इस मामले को लेकर एमएलसी भीष्म सहनी ने सदन में आवाज भी उठाया। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय द्वारा आश्वासन मिला कि ठीक होगा। लेकिन सत्ता परिर्वतन हो गया। अब श्री पांडेय दोबारा स्वास्थ्य मंत्री भी बन चुके हैं। वर्तमान में इस पोस्टमार्टम कक्ष को अस्पताल प्रबंधन मरीजों के स्वजन आदि के लिए वेटिंग कक्ष बनाया है। बिना हस्तगत के ही जब वेटिंग रूम बनाया जा सकता है, तो पूर्व में इसी आरंभ कराया जाता तो यह जर्जर नहीं हुआ होता। विभाग की ओर से एमएनसीयू कक्ष 90 लाख रुपये की लागत से एक वर्ष पूर्व बनवाया गया है। यह भी विभागीय पेच के कारण अब तक सफेद हाथी बना हुआ है। नगर सहित क्षेत्र में चर्चा है कि आखिर कुछ तो बात है, जो समय से भवन बनने के बाद भी हस्तगत के लिए समय दर समय लगाया जा रहा है। इस कारण निर्माण के बाद भी भवनों का उपयोग ससमय नहीं हो रहा है और भवन बिना उपयोग के ही जर्जर हो जा रहा है। अभी भी स्थिति यथावत बनी हुई है। अस्पताल प्रबंधन का रटा रटा जवाब विभागीय स्वीकृति के बाद ही इसका संचालन संभव है। जानकारी देते हुए

डाॅ. अशाेक कुमार तिवारी, प्रभारी उपाधीक्षक ,अनुमंडलीय अस्पताल, बगहा बताया कि आक्सीजन प्लांट निर्माण के बाद से ही सुचारू रूप से संचालित नहीं हो रहा है। इसके लिए संबंधित एजेंसी सहित सीएस को लिखा गया है। एमएनसीयू कक्ष निर्माण के बाद से विभाग को हस्तगत नहीं हुआ है। बिना उपयोग के ही जर्जर हो चुके पोस्टमार्टम कक्ष के संबंधन में भी विभाग से पत्राचार किया गया है। सभी को अपडेट कर दिया जाय तो अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी ।

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