स्वास्थ्य ही जीवन है -: पं०भरत उपाध्याय

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बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वस्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है, मल-मूत्र से 5% कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22% तथा पसीना निकलने लगभग 70% शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं। भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है। रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए। जैसे- दाल, पनीर, राजमा, लोबिया आदि। सुबह के नाश्ते में फल, दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए। शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें, भोजन के समय टी. वी. ना देखें। जो बीमारी अंदर से आती है, उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए, बीमारी देर से आती है, उतनी देर से जाती भी है। खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए, ब्लड-प्रेशर बढ़ता है। छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है, स्त्रियों को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए। जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं, उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है, क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है।चिंता, क्रोध, ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे शुगर, कब्ज, बबासीर, अजीर्ण, अपच, रक्तचाप, थायरायड की समस्या उत्पन्न होती है। गर्मियों में बेल, गुलकंद, तरबूजा, खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली, सोंठ का प्रयोग करें।सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है, लकवा, हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है।*

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