उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व सम्पन्न

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर:- मंगलवार की सुबह व्रती महिलाओं ने गंडक नदी के जलाशय में डुबकी लगाकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया। सूर्य देव से महिलाओं ने संतान की दीर्घायु एवं पारिवार की सुख-समृद्धि और मंगल जीवन की कामना की। लवकुश घाट सहित अन्य छठ घाटों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु व्रती महिलाओं ने उदयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान प्रशासनिक व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रहीं। लव-कुश घाट पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। घाटों पर भक्तिमय गीत गूंज रहे थे, जिससे पूरा वातावरण छठमय हो गया था। व्यवस्था बनाए रखने के लिए एसएसबी और पुलिस अमला लगातार मुस्तैद रहा।सोमवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। मंगलवार तड़के से ही व्रती महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में घाटों पर पहुंचने लगी थीं। सूर्य की पहली किरणें फूटते ही ‘छठ मइया के जयकारे’ से पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।

श्रद्धालुओं ने दूध, जल, गन्ना, नारियल, ठेकुआ और विभिन्न फलों से सूर्य देव को अर्घ्य दिया। उन्होंने परिवार की सुख-समृद्धि और मंगलकामना की प्रार्थना की। अर्घ्य के बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण कर चार दिवसीय निर्जला व्रत का पारण किया।
इस बाबत पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी ने बताया कि छठ महा पर्व जीवन में प्रकाश, सकारात्मकता और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य को जल अर्पित करने से आत्मबल, मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के भाग्य और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उनके लिए यह अर्घ्य बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। इससे सम्मान, सफलता और प्रगति के नए द्वार खुलते हैं।

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