मझौलिया के सेनुअरिया कबलैया छठ घाट पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित, मुखिया ने बताया छठ पर्व का महत्व।।

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बेतिया /मझौलिया से राजू शर्मा की रिपोर्ट ।।

बेतिया/मझौलिया। मझौलिया प्रखंड के सेनुअरिया स्थित कबलैया छठ घाट पर सोमवार की संध्या को आस्था, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। छठ व्रतियों ने पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ डूबते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। घाट पर “छठ मइया के जयकारे” से वातावरण गुंजायमान हो उठा। महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर सुप लेकर जल में खड़ी रहीं और अपने परिवार व समाज की सुख-समृद्धि की कामना की।पंचायत की मुखिया ज्योति श्रीवास्तव एवं उनके पति रिंकू श्रीवास्तव ने भी अपने परिवार सहित घाट पर पहुँचकर पूजा-अर्चना में भाग लिया। मुखिया ज्योति श्रीवास्तव ने बताया कि छठ पर्व बिहार की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है, जो सूर्य उपासना का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है।

यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण और समाज में शुद्धता, अनुशासन और एकता का संदेश भी देता है। उन्होंने कहा कि छठ व्रत में दिखने वाली स्वच्छता, सामूहिकता और नारी शक्ति की भूमिका हमारे समाज के लिए प्रेरणादायक है।उन्होंने आगे बताया कि छठ पर्व में व्रती महिलाएँ 36 घंटे का निर्जला उपवास रखकर सूर्य देव और छठ मइया की पूजा करती हैं। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य। कबलैया घाट पर स्थानीय युवाओं और ग्रामीणों ने सफाई और व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।संध्या समय जब सूर्य अस्ताचल की ओर अग्रसर हुआ, तो पूरा घाट दीपों की रोशनी और भक्ति गीतों से आलोकित हो उठा।

महिलाओं ने अपने घर-परिवार की मंगलकामना करते हुए अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने इसे सामाजिक एकता और लोक संस्कृति के उत्सव के रूप में मनाया।मुखिया ज्योति श्रीवास्तव पति रिंकू श्रीवास्तव ने कहा कि इस पर्व का मतलब है — आस्था, अनुशासन और प्रकृति के प्रति सम्मान। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी संस्कृति और परंपरा को बनाए रखें, क्योंकि यही हमारी पहचान है। इस अवसर पर गाँव के कई गणमान्य व्यक्ति एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।

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