नवमी पर मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु, चौतरफा मां की जय-जयकार।

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श्रद्धालुओं ने नवरात्र का नौ दिवसीय अनुष्ठान किया पूरा, घरों से मंदिरों तक दिनभर कराया जाता रहा अनुष्ठान, चारों तरफ वैदिक मंत्रोच्चार की गूंज रही।

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर:- शारदीय नवरात्र के आखिरी दिन महा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के साथ श्रद्धालुओं ने नवरात्र का नौ दिवसीय अनुष्ठान पूरा किया। घरों से मंदिरों तक दिनभर अनुष्ठान कराया जाता रहा। चारों तरफ वैदिक मंत्रोच्चार की गूंज रही। लोगों ने मातारानी को हलवा, पूड़ी, चना, खीर और पुए का भोग लगाकर सुख-शांति की कामना की। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री के पूजन-अर्चन से जीवन में अद्भुत सिद्धि और क्षमता प्राप्त होती है और पूर्णता के साथ सभी कार्य संपन्न होते हैं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से लौकिक एवं पारलौकिक मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सिद्धि संपूर्णता का प्रतीक है। इसलिए सिद्धियां प्राप्त होने पर सच्चे मन से मांगी गईं मनोकामनाएं बिना विघ्न -बाधा के पूरी होती हैं। नवरात्रि में देवी की आराधना कर सिद्धि प्राप्त करना जीवन के हर स्तर में संपूर्णता प्रदान करता है। परिवार और जीवन में सुख-शांति और सर्वसिद्धि के लिए नवरात्र में कलश स्थापित कर आठ दिन से देवी की आराधना में लीन लोगों ने बुधवार को हवन के साथ अनुष्ठान पूरा किया।

विद्वान ब्राह्मणों को बुलाकर घरों में हवन-पूजन कराया गया। मंदिरों में भी दिनभर हवन-पूजन चलता रहा। लोगों ने देवी का दर्शन करने के बाद अपने सामर्थ्य के मुताबिक दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। नर देवी माता मंदिर में सुबह से भक्तों की कतार लगी रही। बाहर हवन-पूजन चलता रहा। बारी-बारी से भक्त दर्शन करते रहे। मंदिर के पुजारी ने बताया कि नवरात्र के आखिरी दिन भक्तों ने मातारानी के दर्शन-पूजन के साथ ही हवन कराया। हवन कुंड में आहुतियां डालकर मातारानी का आशीर्वाद लिया। श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से मातारानी का पूजन-अर्चन किया। मंदिर के बाहर तक कतार लगी हुई थी। बारी-बारी से श्रद्धालु मंदिर के अंदर पहुंचकर दर्शन किया। सुरक्षा व्यवस्था के लिए यहां पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। सुबह श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पहुंचकर देवी से सर्वमंगल की कामना के साथ सुख-शांति का आशीर्वाद मांगा।

कन्या पूजन से पूर्ण होती है मनोकामना

कुंवारी कन्याओं को मां दुर्गा का साक्षात स्वरूप माना जाता है। इनका पूजन करने से घर में सुख, शांति, सौभाग्य और देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसीलिए दुर्गा पूजा के मौके पर कन्या पूजन की परंपरा रही है, जो जीवन में नैतिकता और विवेक के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

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