श्री राधा रानी का भौतिक परिचय -पं० भरत उपाध्याय

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पूर्व काल में (पितृ पुरुष के अधिपति देवता अर्यमा प्रभृति) पितरों के यहाँ तीन मानसिक कन्याएँ प्रकट हुईं । मानसी कन्या का मतलब ! मन से बनाई गई कन्याएँ, संकल्प किया मन से और कन्याएँ प्रकट हो गई ।पहली कन्या का नाम था कलावती। दूसरी कन्या थी रत्नमाला। तीसरी का आवाहन किया वह भी प्रकट हो गई। उसका नाम था मेनका यह स्वर्ग वाली मेनका नहीं है । यह दूसरी मेनका है जिसका विवाह हिमालय से हुआ और पार्वती जी प्रकट हुई । रत्नमाला का विवाह विदेह जनक जी से हुआ और सीता जी प्रकट हुई ।और जो कलावती थी उसका विवाह सुचंद्र से हुआ लेकिन यह दोनों ब्रह्मचर्य में रहे । देवताओं के 12000 वर्षों तक इन्होंने घोर तप किया । देवताओं का 1000 वर्ष हम लोगों का 360000 बर्ष , तो 12000 वर्षों तक इन दोनों ने तपस्या की , यानी हम लोगों का 4320000 वर्ष । ब्रह्मा जी ने इन दोनों को दिव्य देह दिया और वरदान दिया कि तुमने इतने वर्षों तक तपस्या की इसलिए तुम्हारे यहां ह्लादिनी शक्ति प्रकट होंगीं । तो ये ही सुचंद्र सुरभानु राजा के पुत्र होकर आए -वृषभानु । और एक भलंदन राजा थे, उनके यज्ञ कुंड से प्रकट हुई कलावती । यही कलावती कीर्ति कहलाईं । तो इन्हीं कीर्ति का विवाह सुरभानु राजा के पुत्र वृषभानु से हुआ और राधा रानी प्रकट हुई । ह्लादिनी शक्ति धराधाम पर प्रकट हुई । ह्लादिनी शक्ति राधा रानी आई और मृत्यु लोक में युगललीला हम साधारण लोगों को देखने को मिली। जो कृपा प्राप्त थे उनको दर्शन मिला । हम सब भी थे देखा भी बात भी की पर मायिक होने के कारण सब मटियामेट हो गया । यह है श्री राधा रानी का भौतिक परिचय।जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की जय.!

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