जंगली हाथियों को भगाने में चिली डंग केक (गोबर और मिर्च से बने कंडे) कारगर:- अभिषेक

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जंगली हाथियों के वीटीआर में दाखिले से बढ़ जाती है समस्या, बीते 10 वर्षो में नेपाल से आए हाथी आधा दर्जन लोगों की ले चुके हैं जान।

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज से वीटीआर में आए नौ जंगली हाथी इन दिनों वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) और इससे सटे क्षेत्र में उत्पात मचा रहे हैं। फसल चौपट कर रहे हैं। उन्हें वापस भेजने का प्रयास किया जा रहा है। वीटीआर प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने को कहा है।

जंगली हाथियों के वीटीआर में दाखिले से बढ़ जाती है समस्या

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों के रिहायशी क्षेत्र में घुसने के बाद बड़े नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। खास कर अगर बात हाथियों की कि जाए, तो रिहायशी क्षेत्र में इनके दाखिले से मामला पल भर में ही बद से बद्तर हो जाता है। यही कारण है कि जब भी नेपाल की तरफ से हाथियों का झुंड वीटीआर में दाखिल होता है, तो वन विभाग पूरी तरह से सतर्क हो जाता है तथा इनकी निगरानी शुरू कर दी जाती है।

हाई अलर्ट पर रखे गए वनकर्मी

वर्तमान में वीटीआर के गोनौली वन क्षेत्र में हाथियों की चहलकदमी देखी जा रही है। ऐसे में वन विभाग द्वारा वन कर्मियों को हाई अलर्ट पर रखते हुए चौकसी बढ़ा दी गई है।

बीते 10 वर्षो में नेपाल से आए हाथी आधा दर्जन लोगों की जान ले चुके हैं। 50 से अधिक घरों को उजाड़ चुके हैं। हाथियों ने वर्ष 2013-14 में 23 आशियाने तबाह किए थे। चार लोगों की जान ली थी। 2015-16 में दो लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा कई घरों को नुकसान पहुंचाया था।

वाल्मीकिनगर रेंजर अमित कुमार का कहना है कि इनकी संख्या नौ है। इस झुंड में दो बच्चे भी शामिल हैं।

हाई अलर्ट पर रखे गए वनकर्मी, 40 किमी की रफ्तार से दौड़ सकता है हाथी

हाथी इंसान से तेज दौड़ सकता है। वह 35 से 40 किमी की रफ्तार से दौड़ लगा सकता है। ऊंचाई पर हाथी तेजी से चढ़ जाता है। लेकिन ढलान पर उतरने में उसे परेशानी होती है। हाथी को अपने आजू-बाजू देखने में परेशानी होती है और वह सामने देखकर ही चलता है। ऐसे में अगर किसी के पीछे हाथी पड़ जाए तो उसे आड़े तिरछे दौड़ते रहना चाहिए और चढ़ाई पर कतई नहीं जाना चाहिए।

तय रास्ते पर चलते हैं हाथी

हाथी अमूमन तय रास्ते पर ही चलता है। यही कारण है कि दल से बिछड़ जाने के बाद भी हाथी अपने दल को खोज लेता है। गर्मी के मौसम में हाथी दिन में आराम करना पसंद करते हैं और रात में चलते हैं। यही कारण है कि हाथी रात में ही अधिक आतंक मचाते हैं। इसलिए ग्रामीण सुबह और शाम के वक्त जंगल की ओर न जाएं।आवश्यकता पड़ने पर झुंड में जाएं।

जंगली हाथियों के हमलावर होने के संकेत

जंगली हाथी अगर गुस्से में है और हमला करने वाला हैं, तो इसके वे कई तरह के संकेत देते हैं। इस संकेत को समझने से बचाव हो सकता है। हाथी अगर कान खड़े कर सूड़ ऊपर उठाकर आवाज दे तो समझ जाएं कि वह हमला करने आ रहे हैं। वहीं जंगली हाथी अपना सूड़ झटक रहा हो या पैर को फुलाता है, तब भी समझ जाएं कि वो गुस्से में है तत्काल उससे दूर हो जाएं।

जंगली हाथियों के हमलों को रोकने के लिए नेचर इनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसाइटी (न्यूज़) के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि जंगली हाथियों को भगाने में चिली डंग केक (गोबर और मिर्च से बने कंडे) कारगर साबित होता है। यह केक तैयार करने के बाद जब खेत के चारों तरफ सुलगाया जाता है तो इससे धुंए की चादर फैल जाती है। जब जंगली हाथी इसके भीतर प्रवेश करता है तो उसकी आंखों और सूंड जैसे संवेदनशील अंगों में तेज मिर्ची लगती है। इससे वह बिना फसल बर्बाद किए भाग जाता है। इससे हाथियों को बिना शारीरिक नुकसान किए उन्‍हें खेतों और गांवो से दूर रखा जा सकता है। दरुआबारी एवं लक्ष्मीपुर गांव में गज मित्रों के गठन की प्रक्रिया जारी है।

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