15 सदस्यीय केंद्रीय टीम ने किया गंडक बराज का निरीक्षण।

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केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री ने प्रधानमंत्री से मिलकर गंडक बराज के हालात पर की थी चर्चा

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। इन्डो नेपाल बॉर्डर पर अवस्थित ऐतिहासिक गंडक बराज पुल का बुधवार की सुबह 15 सदस्यीय केंद्रीय टीम ने निरीक्षण कर बारीकी से उसके उम्र सहित उसके नवीकरण के मुद्दे पर आपस में विचार विमर्श किया। 15 सदस्यीय टीम का नेतृत्व कर रहे केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष एके बजाज ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को 60 साल से ऊपर के सभी बांधों एवं पुलों का सर्वेक्षण करने का निर्देश प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार द्वारा टीम गठित कर हमें गंडक बराज के मियाद पूरी होने की जानकारी दी गई है। गंडक बराज के सभी फाटकों सहित पुल का बारीकी से निरीक्षण किया गया है। हमारी टीम इसका रिपोर्ट तैयार कर सरकार को देगी। केंद्र सरकार को राज्य सरकार द्वारा इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। उसके बाद पुल के नवीनीकरण सहित भार क्षमता बढ़ाने की कवायद शुरू की जाएगी। एके बजाज ने बताया कि कस्टम विभाग द्वारा गंडक बराज के भार क्षमता कम होने की बात कही गई थी। इन सभी पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने पीएम से बराज के हालात पर की थी चर्चा

गंडक बराज का उम्र 60 साल के ऊपर हो जाने के बाद अभी तक पुल के स्थिति के बारे में किसी प्रकार का निरीक्षण या काम नहीं कराया गया है। इसको लेकर केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री सह राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर चर्चा की थी। केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने बताया कि कस्टम का कार्य शुरू होने पर माल वाहक ट्रकों की आवाजाही होगी। फिलहाल गंडक बराज के भार क्षमता के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसकी जांच करने एवं नवीनीकरण को लेकर भार क्षमता बढ़ाने के ऊपर पीएम से बातचीत हुई थी। पीएम ने आश्वासन दिया था।उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को गंडक बराज के निरीक्षण की जिम्मेवारी दी गई है। जिसके लिए टीम वाल्मीकिनगर पहुंची है।

4 मई 1964 को हुआ था गंडक बराज का शिलान्यास

गंडक बराज का शिलान्यास भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और नेपाल के तत्कालीन महाराजाधिराज महेंद्र वीर विक्रम शाह देव ने 4 मई1964 को संयुक्त रूप से किया था। यह भारत और नेपाल के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता था। जिसके तहत गंडक नदी के पानी को नियंत्रित करने के लिए बराज का निर्माण किया गया था। उसके बाद से लगभग 60 साल पूरा होने के बाद भी गंडक बराज भार क्षमता एवं अन्य कार्यों को नहीं कराया गया। जिसके लिए टीम वाल्मीकिनगर पहुंची है।

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