वाल्मीकिनगर के तीन विद्यालयों में गहराया जल संकट।

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एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, मध्य व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पिछले एक महीने से उत्पन्न जल संकट से बच्चों सहित विद्यालय प्रबंधन परेशान

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकिनगर में संचालित प्लस 2 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहित इसी परिसर में संचालित प्राथमिक व मध्य विद्यालय में पिछले एक महीने से उत्पन्न जल संकट के कारण विद्यालय प्रबंधन सहित छात्र-छात्राएं उमस भरी गर्मी में बूंद- बूंद के लिए तरस रहे हैं। उमस भरी गर्मी में पानी पीने के लिए छात्र-छात्राओं को जल संसाधन परिसर में जाना पड़ता है। जबकि विद्यालय परिसर में नल जल योजना के तहत पानी टैंक लगाया गया है। जो महीनों से खराब है, और उसका सुध लेने के लिए कोई नहीं है। प्लस 2 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के वरीय शिक्षक राकेश कुमार ने बताया कि विद्यालय में उत्पन्न जल संकट के बाबत कई बार लिखित रूप से विभाग को अवगत कराया गया है। बावजूद इसके अभी तक छात्र-छात्राओं के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं कराई गई है। तीनों विद्यालय में लगभग 12 सौ छात्र छात्राएं पढ़ते हैं। पूर्व से लगाए गए नल जल के टैंक से सप्लाई नहीं हो रहा है। विभाग द्वारा बोरिंग करा कर हैंडपंप भी लगाया गया था। वह भी खराब पड़ा हुआ है। बच्चे घर से एक बोतल पानी लेकर आते हैं, जो उनके लिए पर्याप्त नहीं होता। शिक्षण संस्थान में जल संकट गहराना चिंता का विषय है। बता दे की नल जल की देखरेख संवेदक मणिलाल साह के अधीन है। विद्यालय प्रबंधन द्वारा उनसे संपर्क साधा गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। संबंधित कार्यपालक अभियंता से भी संपर्क साधने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं होने के बाद विद्यालय प्रबंधन के द्वारा लिखित आवेदन विभाग के वरीय अधिकारियों को दिया गया है।

जल संकट से मध्याह्न भोजन पर पड़ रहा प्रतिकूल असर

वाल्मीकिनगर के नदी घाटी योजना प्लस टू माध्यमिक विद्यालय परिसर में संचालित प्राथमिक व मध्य विद्यालय सहित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पानी उपलब्धता नहीं होने के कारण मध्यान भोजन तत्काल बंद पड़ा है। जिसके कारण छात्र-छात्राओं को पूरे दिन भूखे रहना पड़ रहा है। मध्य विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार ने बताया कि जहां से पानी की सप्लाई होती है, वहां से प्रतिदिन एक बड़े बोतल में पानी खरीद कर लाया जाता है। मध्यांतर तक वह पानी खत्म हो जाता है। जब पीने का पानी नहीं है तो भोजन कहां से बनेगा। उमस भरी गर्मी में बच्चों को पीने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। मौसम को देखते हुए यह बहुत बड़ा संकट है।

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