बाघ व जंगल के बिना मानव जीवन की कल्पना असंभव: रेंजर

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। विश्व बाघ दिवस के अवसर पर मंगलवार को वाल्मीकि नगर एवं गोनौली रेंज में जागरूकता कार्यक्रम के जरिए स्कूली बच्चों को जागरूक किया गया। इस अवसर पर वाल्मीकिनगर रेंजर अमित कुमार ने कहा कि बाघ व जंगल के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि मानव-वन्यजीव सामंजस्य की दिशा में प्रयास किया जाए। विश्व बाघ दिवस पर वन कर्मियों ने प्रभात फेरी निकाली और लोगाें से बाघ संरक्षण की अपील की। मानव के अस्तित्व के लिए बाघों का संरक्षण जरुरी है। बिना बाघ व जंगल के मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। बाघ के संरक्षण के प्रयास पूरे विश्व में चल रहे है।

यही कारण है कि हमारे देश में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हमें पर्यावरण के सुरक्षा के लिए जंगलों को कटने से रोकना होगा। जंगल बचेगा तभी जंगल में रहने वाले वन्य प्राणी भी सुरक्षित रहेंगे और इससे मानव जाति का भी भला होगा। इस अवसर पर निबंध, चित्रांकन, आदि प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में स्कूली बच्चों ने अपने निबंध में बाघों की सुरक्षा के बारे में दर्शाया। वहीं चित्रांकन प्रतियोगिता के दौरान बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण एवं वन्य जीवों से प्रेम को अपने चित्रांकन में दर्शाया। इस अवसर पर गोनौली रेंजर राजकुमार पासवान ने कहा कि बाघों के संरक्षण हेतु 19 जुलाई 2010 को सेंट पिटर्स वर्ग में बाघ शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसका उद्देश्य बाघों के निवास की सुरक्षा, विस्तार एवं संरक्षण के लिए जागरुकता पैदा करना था। उसी समय से प्रत्येक वर्ष बाघ दिवस मनाया जाने लगा। वहीं दूसरी ओर बाघ संरक्षण में बेहतर कार्य एवं अपने वन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए वन कर्मियो को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया मौके पर रेंजर अमित कुमार, राजकुमार पासवान, वनपाल आशीष कुमार, सुनील कुमार यादव, सूरज कुमार, शुभम कुमार, राजीव सिंह, ओम प्रकाश सिंह, आदि मौजूद रहे।

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