



जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह
बेतिया/वाल्मीकिनगर। महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि वाल्मीकिनगर के सघन वन क्षेत्र में अवस्थित जटाशंकर धाम मंदिर में लगने वाले श्रावणी मेले की तैयारी अंतिम चरण में है।
मनमोहक होता है भगवान जटाशंकर महादेव का श्रृंगार
जटाशंकर धाम मंदिर में श्रावण मास मेला में एक विशेष आकर्षण श्रृंगार और महादेव की महाआरती भी है। जिसमे भारी संख्या में भक्तों की भीड़ जुटती है। इसको लेकर तैयारियां भी जोर शोर से चल रही है।
मेले के आयोजन होने स्थानीय लोगों के साथ साथ दुकानदार भी खुश हैं क्योंकि इनकी आजीविका दुकान पर ही निर्भर रहती है। वाल्मीकिनगर में सावन के महीने में मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। वाल्मीकिनगर के प्रमुख शिव मंदिर जटाशंकर धाम में पूजा अर्चना के लिए बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश एवं नेपाल के शिव भक्त पहुंचते हैं। इस दौरान भक्त भगवान शिव पार्वती की उपासना कर परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं।सावन में भगवान शिव की पूजा एवं सोमवार व्रत का विशेष महत्व है, जिसे शिव पुराण में भी विस्तार से बताया गया है। मान्यता है कि जो शिव भक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक सावन के सभी सोमवारी का व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवार व्रत से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है। ग्रहों की प्रतिकूल दशा में सुधार होता है। मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। दांपत्य जीवन में मधुरता भी आती है।
इस बार सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 9 अगस्त तक चलेगा।
चार सोमवार और सात शुभ योग
इस बाबत पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी ने बताया कि चार सोमवार और सात शुभ योग विशेष फलदायी हैं।

पहला सोमवार – 14 जुलाई
इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र और आयुष्मान योग का पावन संयोग बन रहा है। इसके साथ ही गणेश चतुर्थी भी इसी दिन पड़ रही है, जो एक दुर्लभ संयोग है।भगवान शिव और भगवान गणेश दोनों की पूजा इस दिन विशेष फलदायी मानी गई है।
दूसरा सोमवार – 21 जुलाई
इस दिन चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होंगे और वृषभ राशि में गोचर करेंगे। साथ ही इस दिन कामिका एकादशी भी है, जो भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए उत्तम मानी जाती है।इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत, संकल्प या व्रत के लिए श्रेष्ठ है।
तीसरा सोमवार – 28 जुलाई
इस सोमवार को चंद्रमा पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में गोचर करेंगे। यह स्थिति मानसिक स्थिरता, भक्ति और ध्यान के लिए उपयुक्त मानी जाती है।इस दिन श्रद्धा से व्रत और पूजा करने से समस्त पापों का क्षय होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अंतिम सोमवार – 4 अगस्त
यह सोमवार विशेष रूप से पवित्र है क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग तीनों का महासंयोग बन रहा है। चंद्रमा इस दिन अनुराधा और चित्रा नक्षत्र में होंगे तथा वृश्चिक राशि में विचरण करेंगे। यह संयोग भक्तों को अद्वितीय ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान कर सकता है।










