



जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह
बेतिया/वाल्मीकिनगर। थाना क्षेत्र में शांति और सौहाद्रपूर्ण माहौल में ताजिया जुलूस निकाला गया।इस दौरान लोगों ने हजरत इमाम हुसैन को याद किया। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मुहर्रम को लेकर जगह-जगह युवा वर्ग करतब दिखाते नजर आए। युवाओं ने केवल जमकर लाठियां भांजी। सुरक्षा व्यवस्था काफी चाक चौबंद थी। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किये गए थे। सुरक्षा-व्यवस्था के मद्देनजर जगह-जगह भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को लगाया गया है।

मुहर्रम मुस्लिम समुदाय के लोगों का खास पर्व है। मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। मुहर्रम महीने का दंसवा दिन बहुत ही खास होता है। इस्लाम धर्म के लोगों के लिए यह महीना बेहद खास होता है। इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। उनकी शहादत की याद में मुहर्रम के महीने के दसवें दिन को लोग मातम के तौर पर मनाते हैं। जिसे आशूरा भी कहा जाता है। इस दिन मुस्लिम समाज के लोग देशभर में जुलूस निकालते हैं।कर्बला की जंग में उन्होंने इस्लाम की रक्षा के लिए अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहादत दी। इसलिए इस महीने को गम के तौर पर मनाते हैं। इमाम हुसैन की शहादत की याद में ही ताजिया और जुलूस निकाला जाता है।हिन्दू-समुदाय के लोग भी यहां के मुहर्रम जुलूस में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं। स्थानीय लोग हर त्योहार मिलकर मनाते हैं और आपसी भाईचारे का पैगाम देते हैं।वाल्मीकि नगर में रामनवमी हो या ईद, मुहर्रम हो या होली, हर पर्व में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देखी जा सकती है। हर समुदाय के लोग साथ मिलकर पर्व मनाते हैं।










