




जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर। नारायणी के संगम तट पर गुरुवार की सुबह गंगा दशहरा के पावन अवसर पर लगभग 20 हजार श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई एवं दान पुण्य किया। वाल्मीकिनगर में गंगा स्नान के लिए बुधवार की संध्या से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। गंगा स्नान की पूर्व संध्या पर नारायणी के कालीघाट पर श्रद्धालुओं ने पूरी रात भजन कीर्तन किया।अहले सुबह से ही त्रिवेणी संगम तट पर श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। श्रद्धालुओं में उत्तर प्रदेश, नेपाल सहित बिहार के कई जिलों के श्रद्धालु शामिल थे, जिन्होंने हर हर गंगे की जय घोष के साथ डुबकी लगा, मोक्ष प्राप्ति के लिए अपना मार्ग प्रशस्त किया। पुरुषों के बजाय गंगा स्नान के लिए महिलाओं की संख्या अधिक थी। इस बाबत पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
गंगा का पौराणिक महत्व
गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ था। साथ ही, यह शिव जी की जटाओं में निवास करती हैं।शिवजी ने अपनी जटाओं को सात धाराओं में विभाजित कर दिया। ये धाराएं हैं- नलिनी, हृदिनी, पावनी, सीता, चक्षुष, सिंधु और भागीरथी।भागीरथी ही गंगा हुई और हिन्दू धर्म में मोक्षदायिनी मानी गई है।