भीषण गर्मी में भी पर्यटकों से गुलजार है वीटीआर।

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भीषण गर्मी में भी पर्यटक जंगल सफारी के लिए वीटीआर का कर रहे रुख, मौसम की मेहरबानी पर टिका है पर्यटन सत्र का भविष्य।

जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) पर्यटन सत्र के समापन की औपचारिक घोषणा मॉनसून के आगमन के साथ हो जाएगी। वीटीआर को पर्यटकों के लिए हर साल अक्टूबर माह में खोला जाता है, जो अमूमन 15 जून तक चलता है। इस बीच पर्यटक वीटीआर के प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का दीदार करते हैं। यह पर्यटन सत्र आमदनी के लिहाज से बहुत ही अच्छा रहा। वीटीआर पर्यटकों से गुलजार रहा। वर्ष 2005 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्थापित किया गया था। तब से पर्यटक यहां प्रकृति का आनंद और वन्यजीवों के दीदार को आते रहते हैं। इस साल काफी संख्या में सैलानी यहां पहुंचे। मानसून में वीटीआर के कच्चे मार्ग पानी और कीचड़ से भर जाते हैं। वहीं लंबी घास व झाड़ियां पर्यटकों की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं होने की वजह से सत्र को बंद कर दिया जाता है। इस बीच पर्यटको की चहलकदमी न होने से वन्यजीवों को भी स्वछंद विचरण करने का मौका मिल जाता है। अक्टूबर माह में जब वीटीआर खुलता है तो वन्यजीवों व रंग-बिरंगे पक्षियों के साथ बाघ के शावक भी खूब दिखाई देते हैं। मानसून सक्रिय होने के साथ ही पर्यटन सत्र के समापन की घोषणा कर दी जाएगी। फिलहाल अभी तक मौसम शुष्क बना हुआ है। इसलिए पर्यटन सीजन मानसून आने तक जारी रहेगा।

भीषण गर्मी में भी पर्यटकों से गुलजार है वीटीआर

वीटीआर के फील्ड डायरेक्टर डॉक्टर नेशामणि की माने तो  मॉनसून के सक्रिय होते ही सफारी सीजन की समाप्ति हो जाएगी। वीटीआर को और बेहतर बनाने के प्रयास किए जाएंगे ताकि इसे एक ऊचाई पर लेकर जाया जा सके।

बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व वीटीआर में पर्यटन सत्र का औपचारिक समापन हर वर्ष 15 जून को होता है। हालांकि कई मौकों पर सफारी का समापन मौसम के अनुसार करना पड़ा है।बिहार में मॉनसून का आगमन यदि पहले हो गया तथा बारिश लगातार होने लगी, तो फिर ऐसी स्थिति में पर्यटन सत्र की समाप्ति भी तुरंत कर दी जाती है। लेकिन, यदि मॉनसून का आगमन देरी से हुआ और बरसात की स्थिति नहीं रही, तो फिर ऐसी स्थिति में सफारी का सिलसिला चलता रहेगा।
जैसे-जैसे पर्यटन सत्र की समाप्ति की तिथि नजदीक आ रही वैसे-वैसे वीटीआर में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होते जा रहा है। खास बात यह है कि 40 डिग्री से ऊपर की भीषण गर्मी में भी पर्यटक सफारी के लिए वीटीआर का रुख कर रहे हैं।

इन कारणों से थम जाते हैं जंगल सफारी के पहिए

पर्यटन सत्र की समाप्ति के साथ ही वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी, गंडक सफारी तथा वाल्मीकि आश्रम के दौरे का सिलसिला बंद हो जाता है। हालांकि इसके अलावा पर्यटन के अन्य रास्ते खुले रहते हैं। दरअसल, बरसात के समय में पहाड़ी नदियों द्वारा लाई गई रेत, मिट्टी तथा पत्थर जंगल के रास्तों को अवरुद्ध कर देती है। जिसके चलते सफारी का ट्रैक बिगड़ जाता है।परिणाम स्वरूप सफारी को बंद करना पड़ता है। इसके अलावा बरसात में पहाड़ों पर गाड़ियों को चढ़ाने में बेहद दिक्कतें आती है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से बिल्कुल भी सही नहीं होती है। इतना ही नहीं, बरसात का मौसम जानवरों के लिए मेटिंग के लिए सबसे उचित होता है। अतः इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सफारी के पहिए को रोक दिया जाता है।

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