सुहागिनों ने पूजा-अर्चना कर की पति के दीर्घायु की कामना।

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जिला ब्यूरो, विवेक कुमार सिंह,

बेतिया/वाल्मीकिनगर। वट वृक्ष की पूजा कर महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना की। हिन्दू धर्म में आस्था और नारी शक्ति का प्रतीक वट सावित्री व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है।
इस बाबत प्रकृति प्रेमी मनोज कुमार ने बताया कि
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा कर व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष में त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—का वास होता है, जिससे इसकी पूजा का महत्व और भी अधिक हो जाता है।

सावित्री ने यमराज से सत्यवान के प्राण वापस पाए थे

इस व्रत से जुड़ी कथा सावित्री और सत्यवान की है, जिसमें सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प, प्रेम और निष्ठा से यमराज से अपने पति के प्राण वापस पाए थे। यह कथा भारतीय संस्कृति में नारी धर्म, साहस और अटूट विश्वास का प्रेरणास्रोत मानी जाती है। व्रत के दिन महिलाएं पारंपरिक वस्त्रों और श्रृंगार में वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं, धागा बांधती हैं और कथा सुनती हैं।

दुर्लभ संयोग

इस बार वट सावित्री व्रत सोमवार को पड़ने के कारण यह संयोग अत्यंत दुर्लभ और सौभाग्यशाली माना जा रहा है। चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में संचार कर रहे हैं जो शुभ संकेत है। यह पर्व महिलाओं को न केवल आध्यात्मिक बल देता है, बल्कि पारिवारिक संस्कार को भी मजबूती देता है। यह पर्व भारतीय समाज में संस्कार, परंपरा और श्रद्धा का जीवंत उदाहरण है, जो हर साल नई पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ता है।

धार्मिक मान्यता

इस बाबत पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी ने बताया कि
धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस व्रत से पति की उम्र लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही, व्रत करने वाली महिलाओं को यमराज और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि यह व्रत आज भी पूरे भारत में श्रद्धा से मनाया जाता है।

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