स्वार्थी दुनिया अंततः साथ छोड़ देती है:- पं०भरत उपाध्याय

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भक्ति। हम सभी बचपन से हाथी और मगर की लड़ाई की कहानी सुनते आ रहे हैं जिसमे भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से मगर यानी ग्राह का वध करते हैं ,,, ऐसी बहुत सी पौराणिक कथाएं है जिन्हें हम सुनते रहे है। ये साधारण कहानियां नहीं है। बस इनमे छुपे महान संकेतों को समझने की आवश्यकता है। इनके मर्म यदि मन में आ गए तो जीवन की बहुत सी उलझनों का समाधान हो जाता है । गज ग्राह की यह कहानी मुझे भी कुछ नये अर्थ बताती है

,,,आपके लिए,,, गज यानी हाथी जब अपने परिजनों और कुटुंबजनो के साथ जल विहार करता रहता है तब ग्राह यानी मगर उसका पैर पकड़ लेता है और गहरे जल में ले जाने लगता है, हाथी उससे संघर्ष करता है तब उसके परिजन भी उसे छुड़ाने में उसकी बहुत मदद करते हैं, पर उसे कोई नहीं छुड़ा पाता ,और फिर सारे परिजन उसे उसी हाल में छोड़कर अपनी दुनिया में लौट जाते हैं ,

पहली सीख,,,,, कोई आपके साथ मरने वाला नहीं है एक समय तक ही हमदर्दी रहती है जब तक अपना नुकसान नहीं हो रहा है ,स्वार्थी दुनिया अंततः साथ छोड़ देती है। फिर लड़ते लड़ते हाथी थक जाता है और उसे अपनी ताकत और इस निस्सार संसार से जब कोई सहायता नहीं मिलती तब वो प्रार्थना का सहारा लेता है ,उसी सरोवर से कमल का फूल उखाड़ कर भगवान विष्णु को आर्त भाव से पुकारता है ।

दूसरी सीख ,,,,, अपने पुरुषार्थ और अपनी हैसियत का अभिमान न् करें । कोई और ऐसी सत्ता है , जिसकी हम सब पर नजर है , जिसके हाथों में वक्त की और हालात बनाने बिगाड़ने की डोर है वही सबका नियंता है। अंत में उसकी प्रार्थना से भगवान आकर के उस ग्राह का वध कर उसे उस भीषण कष्ट और मृत्यु भय से मुक्त करते है।

तीसरी सीख,,,,, संसार में रहो , सब काम करो पर अंत को न् भूलो ,,, और विश्वास ,प्रेम और श्रद्धा रखो की बुरे वक्त में वही एक परमशक्ति है जो संबल देती है और भयानक कष्ट से उबारती है। उसके प्रति विश्वास इतना प्रबल हो कि मौत के मुँह में जाकर भी भय व्याप्त न् हो ।

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