क्यों विराजमान हैं शिव-मूर्ति के आगे नंदी:- पं०भरत उपाध्याय

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भक्ति। जिस प्रकार भगवान शिव की पूजा और दर्शन का महत्व है, उसी प्रकार नंदी का दर्शन भी किया जाता है।
आपने अक्सर मंदिरों में भोलेनाथ की प्रतिमा के सामने नंदी की प्रतिमा देखी होगी। कहा जाता है कि इस दुनिया में जहां पर भी भोलेनाथ की प्रतिमा विराजमान है, उसके ठीक सामने नंदी की मूर्ति भी विराजमान होती है। जिस प्रकार भगवान शिव की पूजा और दर्शन का महत्व है, उसी प्रकार नंदी का दर्शन भी किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भोलेनाथ की मूर्ति के ठीक सामने हमेशा नंदी की मूर्ति क्यों विराजमान होती है? दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा है…इस कथा के अनुसार, शिलाद मुनि पर ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश को आगे बढ़ाने का संकट आ गया था, तो इस संकट से निजात पाने के लिए इंद्र ने शिलाद मुनि को भोलेनाथ की तपस्या करने की सलाह दी। उसके बाद शिलाद मुनि संतान की कामना के लिए भगवान शंकर की कठोर तपस्या में लग गए। इस कठोर साधना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने वरदान दिया कि वे स्वयं उनके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। कुछ समय पश्चात शिलाद मुनि के यहां नंदी प्रकट हुए। जिसके बाद भगवान शिव ने नंदी का अभिषेक करवाया और नंदी नंदीश्वर बन गए। बाद में नंदी का विवाह मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ किया गया। भगवान शंकर ने नंदी को वरदान दिया कि जहां पर नंदी का निवास होगा, वहां उनका भी निवास होगा। कहा जाता है कि तभी से हर शिव मंदिर में शिवजी के सामने नंदी की मूर्ति की स्थापना की जाती है। भगवान शिव हमेशा समाधि में बैठे रहते हैं। कहा जाता है कि अगर अपनी मनोकामना नंदी के कान में कही जाए, तो वे भगवान शिव तक उसे जरुर पहुंचाते हैं। नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। इसलिए हर शिव मंदिर में नंदी की स्थापना जरुर की जाती है, ताकि भक्त अपनी बातें भगवान शिव तक पहुंचा सके। हर इंसान के दिल में कुछ इच्छाएं और मनोकामनाएं होती हैं, जिसको पूरा करने के ख्वाब वो हमेशा देखता है। उस मनोकामना को पूर्ण करने के लिए व्रत, उपवास, पूजा-पाठ, हवन, यज्ञ और जाने क्या-क्या करता है, लेकिन फिर भी मनोकामना पूरी नहीं हो पाती है। आपकी भी ऐसी कुछ मनोकामना होगी, जो पूरी नहीं हो पा रही है, तो हम आपको एक सरल और आसान उपाय बताएंगे, जिससे आपकी मनोकामना पूरी होगी। इसके लिए सच्चे दिल से भगवान को याद करके भगवान के इन दूतों के कानों में यह बात बोलनी है। लेकिन ध्यान रहे मनोकामना किसी के अहित, बुराई सोचकर या किसी को नीचा दिखने की गलत भावना से न जुड़ी हो… नंदी को भगवान शिव का दूत माना जाता है और हर शिव मंदिर के बाहर नंदी की मूर्ति रखी जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस नंदी के कानों में अपनी मनोकामना बोलने से मनोकामना पूरी होती है। विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता, गणेशजी की सवारी मूषक महाराज हैं। गणेशजी की मूर्ति के साथ मूषक की मूर्ति भी मंदिरों में रखी जाती है। कहा जाता है कि मूषक के कानों में अपनी मनोकामना बोलने से मनोकामना गणेशजी तक पहुंचती है और इंसान की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। सिंहराज को माता रानी की सवारी कहा जाता है। माता रानी अपनी इसी सवारी के साथ आती और जाती हैं। इसलिए माता रानी से अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए सिंह के कानों में बात बोलने से मनोकामना पूरी होने की बात कही जाती है। ये सब देवी-देवताओं की सवारियां हैं। भगवान अपनी इन्हीं सवारियों में आते और जाते हैं। इसलिए जब भी मंदिर जाएं, इनके कानों में अपनी मनोकामना जरूर बोलें। ये दूत आपकी मनोकामना भगवान तक जरूर पहुंचाते हैं जिससे आपकी मनोकामना पूरी हो जाती है। सागर मथ के सभी देवता अमृत पर ललचाए। तुम अभ्यंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए।

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