श्री राम आस्था – विश्वास और मानव जाति के आदर्श हैं:- पं० भरत उपाध्याय

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बिहार। मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शाश्वती: समा: यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्।। हे निषाद तुझे शाश्वत काल तक प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी,क्योंकि तूने इस काम -मोहित जोड़े में से एक की हत्या कर दी है।-वाल्मीकि!!, आदिकवि की प्रथम काव्योक्ति के स्वागत में ब्रह्मा उनका अभिनंदन करने आते हैं ।कहते हैं -तुम नारद से सुने हुए रामचरित्र को इसी छंद में श्लोकबध्द करो ।करुणा की धारा काव्य की केंद्रीय शक्ति बनकर गतिमान होती है। वाल्मीकि आदि कवि और उनका काव्य आदि काव्य के रूप में समादृत होता है ।महर्षि अयोध्या कांड से लेकर युद्ध कांड तक कथा रच देते हैं ।उन्होंने यह काव्य अपने समय की उस संस्कृत भाषा में लिखा, जो लोक -भाषा के निकट थी ।इस प्रकार राम कथा विश्व -चेतना की अंतः शक्ति बन जाती है। भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों के कवियों पर राम कथा का इतना प्रभाव पड़ा कि प्रत्येक भारतीय भाषा ने राम कथा की सरिता में डुबकी लगाई और अपने स्वरूप को पहले से उजला बनाया। राम कथा काव्य की सुंदर श्रेणी बन गई ।रामायण को लेकर श्री रामचरितमानस तक कथा सेतु बन गया ,जिस पर चलकर कितने ही लोग पार उतर गए । कितनी काव्य कृतियां ,रामचंद्रिका ,साकेत, संशय की एक रात, अग्निलीक, प्रवादपर्व ,मेरे राम का मुकुट भीग रहा है, त्रेता का बृहत्साम और महाकवि की तर्जनी क्रम में सटकर खड़ी हैं।
तमिल रामायण, तेलुगु- द्विपाद रामायण, मलयालम -रामचरितम, कन्नड़ -तोरवे रामायण, बांग्ला- कृतिवास रामायण, उड़िया- बलराम दास -रामायण, मराठी- भावार्थ रामायण ,कश्मीरी- राम वतार चरित, पंजाबी -दिलशाद रामायण, गुजराती -रामचरित, असमी -माधव कंदली, उर्दू- रामायण खूश्तर, सिंधी- कोकिल कलरव ,नेपाली- भानुभक्त रामायण, कम्ब रामायण, सिंहली रामायण की सघन पंक्ति भी साहित्यिक- सांस्कृतिक एकता की सुरभि की पराग-कण अपनी हथेलियों पर धारे हुए हैं। धर्म प्रचारकों ,व्यापारियों, यात्रियों और साधु- सन्यासियों के साथ राम -कथा भी वृहत्तर भारत में पहुंची। उत्तर में तिब्बत, चीन, साइबेरिया पूरब में हिंदेशिया,हिंदचीन ,कंबोडिया इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रह्मदेश दक्षिण में लंका’ मॉरीशस ,फिजी, गिनी, त्रिनिडाड, केन्या ,घाना, युगांडा और पश्चिम में ईरान ,मिश्र, फ्रांस , इंग्लैंड आदि में राम कथा आधारित कृतियों की रचना हुई। विदेश में रहने वाल हर प्रवासी भारतीय ,रामनवमी के दिन अपने देश को याद करता है, अपने परिजनों को याद करता है। एकता का तार देश- विदेश के व्यक्ति को जोड़ता है! राम कथा की साहित्यिक- सांस्कृतिक यात्रा मंदाकिनी की तरह वेगवती होकर अनवरत बह रही है। नव संवत्सर से आरंभ हुए चैत्र माह में नवमी के दिन दोपहर में श्री राम मोक्ष, श्री भरत धर्म , श्री लक्ष्मण काम और श्री शत्रुघ्न अर्थ का , जन्म, हुआ।जिसे संपूर्ण विश्व रामनवमी के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाता है।

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