



टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्यजीवों की बढ़ोतरी पर ग्रासलैंड विस्तार को लेकर आयोजित कार्यशाला में सीएफ के नेतृत्व में रेंजर , वनपाल एवं वनरक्षियों ने लिया हिस्सा
जिला व्यूरो, विवेक कुमार सिंह,
बेतिया/वाल्मीकिनगर:- अब वीटीआर के बाघों को अपने शिकार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए वन विभाग द्वारा ग्रासलैंड मैनेजमेंट पर काम शुरू कर दिया गया है। रविवार को वन विभाग एवं डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा ग्रासलैंड मैनेजमेंट को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।जंगल में ही वनराजों को पर्याप्त भोजन मिले इसके लिए ग्रेसलैंड का विस्तार जरूरी है । इसके तहत वाल्मीकिनगर स्थित वन विभाग के सभागार में ग्रास लैंड मैनेजमेंट विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें पांच रेंज के रेंजर व वनपाल, वनरक्षियों ने हिस्सा लिया। जिन की संख्या लगभग 45 थी।वीटीआर में बाघ के प्राकृतिक रूप से विचरण करने के लिए तमाम सुविधाएं विकसित की गई है। लेकिन, अब इस अभ्यारण्य में शाकाहारी वन्यजीवों के लिए भी सुविधाएं विकसित की जा रही है। यहां शाकाहारी वन्य जीवों के भोजन के लिए ग्रासलैंड विकसित करने का कवायद शुरू कर दिया गया है। वीटीआर के वनक्षेत्रों में जंगल के अंदर बाघों को भोजन के लिए शाकाहारी जानवरों की तादाद बढ़ाने के लिए ग्रासलैंड मैनेजमेंट प्रशिक्षण एक अहम कड़ी साबित होगी। जंगल के अंदर ग्रासलैंड आवश्यकता के अनुसार होंगे तो चीतल, हिरण, सांभर, नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवर जंगल के अंदर ही अधिवास बनाएंगे, जिससे बाघों को भोजन जंगल के अंदर ही मिलता रहेगा। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ एवं वन विभाग के सौजन्य से वीटीआर में ग्रास मैनेजमेंट पर प्रशिक्षण वन अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया जा रहा है,ताकि वे घास के मैदान विकसित कर सकें और शाकाहारी वन्यजीवों के लिए भोजन और आवास बेहतर बना सकें।
एक दिवसीय प्रशिक्षण के तहत, पुराने खरपतवार को हटाकर और नई घास लगाने पर बल दिया गया। जिससे शाकाहारी वन्य जीवों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस बाबत जानकारी देते हुए ग्रासलैंड विशेषज्ञ डॉक्टर जीडी मुराद्कर ने बताया कि जंगल में रहने वाले सभी घासो या खरपतवारों को शाकाहारी वन्य जीव नहीं खाते हैं। जिन घासो का कोई उपयोगिता नहीं है उसे वन क्षेत्र से हटाना आवश्यक है। इससे शाकाहारी वन्यजीव अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगे और इससे बाघों के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

प्रशिक्षण का
उद्देश्य
वीटीआर में घास के मैदान विकसित करके शाकाहारी जानवरों की संख्या में वृद्धि करना, ताकि बाघों का अधिवास प्रबंधन बेहतर हो सके। बताते चलें कि वीटीआर
बाघों के लिए भोजन श्रृंखला बेहतर हुई है, और बाघों की संख्या में संतोषजनक वृद्धि हुई है। इसे देखते हुए यहां भोजन श्रृंखला को और बेहतर बनाने की पहल की जा रही है ताकि यहां शाकाहारी जानवरों की संख्या में वृद्धि हो। यहां फिनिक्स, खजूर एवं माइकेनिया नामक समस्या जनक खरपतवार की अधिकता पाई जाती है।
मार्च 1994 तक यह क्षेत्र वन विकास निगम के अधीन था। वीटीआर अधिसूचित हो जाने के बाद इस पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा जिससे वन क्षेत्रों के जंगल में वास कर रहे शाकाहारी जानवरों को भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों की ओर नहीं भटकना पड़े। नई किस्म के घास लगाने और पुराने घास को हटाने के लिए सभी वन क्षेत्र अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण ताल के टीम लीडर ए के सिंह, वॉयोलॉजिस्ट बोपन्ना जी, डॉ अहबर आलम, अरुण चौधरी सौरभ वर्मा, रेंजर राजकुमार पासवान, अमित कुमार शिव कुमार राम सहित दर्जनों की संख्या में फॉरेस्ट गार्ड शामिल रहे।










