बीजेपी के मंच पर दिखे कांग्रेसी नेता राजेश सिंह क्षेत्रों में बना चर्चा का विषय।

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बिहार/बेतिया/बगहा। वाल्मीकिनगर में सोमवार को इंडो नेपाल सीमा पर कस्टम कार्यालय का केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी व राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे ने विधिवत रूप से फीता काटकर उद्घाटन किया। इसके साथ ही वर्षो से प्रतीक्षित भंसार का शुरुआत हो गया। भंसार शुरू होते ही व्यवसाइयों सहित आम जनता में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे का प्रयास रंग लाया। भंसार शुरू कराने में सतीश चंद्र दुबे ने काफी प्रयास किया था। जो सबसे बड़ी बात ये रही कि इस समारोह में कांग्रेस के राजद के पूर्व विधायक व वर्तमान कांग्रेस के सदस्य तथा कांग्रेस के वाल्मीकिनगर के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी राजेश सिंह जो वर्तमान में कांग्रेस के नेता हैं मंच साझा करते नजर आए। उद्घाटन सभा मे आये आम लोगों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि क्या राजेश सिंह कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं क्या? इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। आम लोगों में धारणा था कि नेताओं का रंग बदलते देर नहीं लगती है। जबकि राजनीतिक शुरुआत पूर्व में बहुजन समाज पार्टी के हाथी पर सवार होकर राजेश सिंह ने धनहा विधान सभा से विधायक बने थे। लेकिन पलटी मारते हुए बसपा को दरकिनार कर राजद की लालू सरकार में दामन पकड़ कर परिवहन मंत्री बन गये। वही परिवहन मंत्री के रूप में वर्षों तक बिहार का प्रतिनिधित्व किया। बाद में राजद से भी नाता तोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये। फिर क्या था देखते ही देखते चुनावी

सरगर्मी को भांप कर विधायक बनने की लालसा लिए कांग्रेस का दामन थामा। दो बार वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र से अपनी उम्मीदवारी पेश कर चुनाव लड़े लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। फिर आज बाल्मीकिनगर में इंडो नेपाल सीमा स्थित वाल्मीकिनगर में भारत के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के मंच पर पहुंच कर सबको चौका दिये। आखिर यह सब क्या हो रहा है। वही वाल्मीकिनगर के क्षेत्रीय लोगों में इस बात का विशेष चर्चा का विषय बन गया है। एक तरफ जहां बिहार समेत पूरे भारत में कांग्रेसी नेताओं का एक बड़ा जत्था बिहार से भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो कर देश बचाने की मुहिम में जुड़े हुए हैं वही वाल्मीकिनगर के एक नेता जो भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के सम्मान में अपने समर्थकों के साथ मंच पर कसीदे पढ़ रहे हैं। क्या इस बात से क्या कयास लगाया जा सकता है। यह आने वाली 2024 ,2025 के चुनाव में ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

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