चंपारण में हो रही है ऐतिहासिक खेती बिहार के किसान कमलेश चौबे कर रहे हैं औषधीय रंग बिरंगी गेहूँ की खेती।

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बेतिया/नरकटियागंज। नरकटियागंज के मुशहरवा गाँव के किसान कमलेश चौबे करने जा रहे हैं औषधीय रंग बिरंगी गेहूँ की खेती। किसान कमलेश चौबे पिछले कुछ सालों से औषधीय फसलों खेती कर रहे हैं पिछले साल कमलेश चौबे ने रंग बिरंगी धान की खेती की और इस बार उन्होंने रंग बिरंगी गेहूँ की खेती करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कमलेश चौबे करने जा रहे हैं काला गेहूँ, ब्लू गेहूँ, पर्पल गेहूँ, सोनामोती गेहूँ, औषधीय गुणों से भरपूर गेहूं किसान कमलेश चौबे ने अपने खेतों में सोनामोती गेहूं के साथ-साथ पर्पल गेहूं, ब्लू गेहूं और ब्लैक गेहूं की खेती भी की. ये सभी प्रभेद औषधीय गुणों से भरपूर हैं। डायबिटीज और दिल के मरीजों के लिए रामबाण औषधि है। किसान कमलेश चौबे जी के मुताबिक इन सभी प्रभेदों के गेहूं में फॉलिक एसिड प्रचुर मात्रा में है, जबकि ग्लाइसिमिक और ग्लूटिन नामक तत्व कम मात्रा में हैं, लिहाजा इसे दिल और मधुमेह रोगियों के लिए काफी लाभप्रद माना जा रहा है। सोनामोती गेहूं की खेती होने जा रही हैं। इस बार 2000 ईसा वर्ष पुराने इस गेहूं के किस्म की खेती होने जा रही है। नरकटियागंज के मुसहरवा गाँव के निवासी कमलेश चौबे ने सिंधु घाटी सभ्यता काल के सोनामोती गेहूं समेत चार किस्म के गेहूं का उत्पादन किया है। सोनामोती गेहूं के अलावा ब्लू, पर्पल और ब्लैक गेंहू सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं।जिसकी इलाके के किसानों के बीच काफी चर्चा है।

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