बिहार/पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री मील के पत्थर रहे । चाहे राजनीति का क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र हो । प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी वह बैंक के कर्जदार रहे। प्रधानमंत्री रहकर भी वे सादगी के साथ रहते थे कभी उनके मन में यह नहीं रहा कि हमें लोग किस नजर से देखेंगे और यही उनकी ताकत रही । जिस समय वह प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे उसे समय पूरा देश संकटों से गुजर रहा था । अकाल पड़ा था, देश में अन्न की विकराल समस्या थी। उनके पहले देश चीन से हार गया था । उन्होंने जय जवान, जय किसान का नारा दिया । इतना ही नहीं प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने देशवासियों से अपील की थी कि सप्ताह में एक दिन वह सीरियस गेहूं-चावल अनाज खाना छोड़ दें और इसको देशवासियों ने माना। सभी देशवासियों ने सप्ताह में एक दिन खाना छोड़ दिया जिससे देश में पड़े अन्न संकट से जूझने में मदद मिली । खुद लाल बहादुर शास्त्री ने भी सप्ताह में एक दिन अन्न का त्याग किया । आज की राजनीति में ऐसे राजनेता मिले, ऐसा संभव नहीं है । आज सत्ता में बैठे लोग पहले आउट कम देखते हैं, मगर प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कभी आउटकम नहीं देखा और देश के लिए शहीद भी हो गए। उनके जीवन का अंत रहस्यमय बनकर रह गया जिसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए।
यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने मुख्य अतिथि पद से लाल बहादुर शास्त्री विचार मंच की और से विद्यापति भवन में आयोजित 119 वीं जयंती के मौके पर कही । जयंती पर स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत की जांच केंद्र सरकार से कराने को लेकर एक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया । मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले चित्राशों को सम्मानित भी किया गया जिसमें खेल में उल्लेखनीय योगदान के लिए सुखदेव नारायण क्रिकेट के आयोजक विजय कुमार नारायण चुन्नू , शौम्या अखौरी, निखिलेश रंजन, अंकुर श्रीवास्तव को, पत्रकारिता के क्षेत्र में अपूर्व वर्मा, चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ के के अंबष्ठा, शिक्षा के क्षेत्र में अरुण कुमार श्रीवास्तव, परिमल कुमार व किशोर कुमार, सामाजिक क्षेत्र से शिवाजी प्रसाद, संगीत कला में सृष्टि सिन्हा को सम्मानित किया गया । लाल बहादुर शास्त्री विचार मंच के अध्यक्ष अजय वर्मा ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत की जांच केंद्र सरकार से कराने को लेकर एक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया है और केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से रहस्यमय मौत की जांच कराने की मांग यह मंच करता है । साथ ही लाल बहादुर शास्त्री विचार मंच यह भी मांग करता है कि लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पूरे देश में जय जवान, जय किसान दिवस के रूप में मनाई जाये और राष्ट्रीय स्तर पर इसका आयोजन हो, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते है। उन्होंने मांग की कि लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े आलेख को एनसीईआरटी के पाठ्य पुस्तकों में उसी रूप में शामिल किया जाए जैसे अन्य महापुरुषों की जीवनी छापी गई है । विशिष्ट अतिथि पद से पूर्व विधान पार्षद प्रोफेसर रणवीर नंदन ने कहा कि शास्त्री जी गरीब कायस्थ परिवार से उठकर अपनी मेहनत, ईमानदारी और बुद्धिमत्ता के बल पर प्रधानमंत्री के सर्वोच्च पद पर पहुंचे । शास्त्री जी एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हुए कि अकाल पड़ने पर अनाज छोड़ने का जब आह्वान किया तो पूरा देश उनके साथ सप्ताह में एक दिन भूखा रहकर अन्न त्यागने लगा । विशिष्ट अतिथि ए एन कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर प्रवीण कुमार ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री की सरलता, सहजता,कठोर निर्णय और राजनीतिक सोच देशवासियों को सदैव याद रहेगा । एक गरीब परिवार से आने वाला व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर जाए, यह उनकी प्रखर सोच का परिणाम था । सबसे बड़ी बात यह थी कि उनके पक्ष और संकल्प के साथ पूरा भारत खड़ा था । विशिष्ट अतिथि जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन ख्यातिप्राप्त चिकित्सक डॉ एन पी नारायण ने कहा कि प्रधानमंत्री पद पर आने के बाद उन्होंने देश की नब्ज को समझा और जाना कि देश के लिए और जवानों व किसानों को मजबूत करना होगा । इसलिए उन्होंने जय जवान, जय किसान का नारा दिया । देश की रक्षा के लिए सेना मजबूत हो और देश का किसान संपन्न हो ताकि आत्मनिर्भर देश हो सके । पटना एम्स के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजीव कुमार ने कहा कि शास्त्री जी पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत हैं । उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश संजय प्रिया, अवकाश प्राप्त पुलिस महानिरीक्षक पी के दास,मोतिहारी के लोकसभा प्रत्याशी रह चुके राजनेता विनोद श्रीवास्तव,विचार मंच के वरीय उपाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और महासचिव पुष्कर श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किये । इस मौके पर इस मौके पर दीपक कुमार, राकेश सिन्हा, राजीव रंजन, देवराज गुल्लू, रंजीत वर्मा, अनुराग, अश्वनी कुमार, लाला प्रकाश, रविश श्रीवास्तव, अमित कुमार, विजय श्रीवास्तव, रंजन सिन्हा, कमल नारायण श्रीवास्तव, हेमंत कुमार आदि मौजूद थे।