बेतिया/नरकटियागंज। पश्चिम चम्पारण के किसान कमलेश चौबे काले प्याज की खेती करने के कारण आज चर्चा में है। आपने कभी नहीं सुना होगा और न ही देखा होगा औषधीय काला प्याज के बारे में अब समय आ गया है देखने का भी और स्वाद चखेंगे का भी। प्रकृति की गोद में बसा जिला पश्चिम चम्पारण अब काला प्याज के उत्पादक के नाम से प्रसिद्ध होगा। पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज प्रखंड अंतर्गत मुशहरवा गाँव के प्रगतिशील किसान कमलेश चौबे ने जैविक खेती कर लगभग एक कठ्ठे जमीन में औषधीय काला प्याज उगा रहें हैं। किसानों के बीच मिशाल पेश कर रहे हैं पेशे से तो खिलाड़ी भी रह चुके हैं लेकिन पिता के निधन के बाद से खेल कि दुनिया को छोड़ कर खेती में दिलचस्पी रखने लगे।किसान कमलेश चौबे के मुताबिक, उन्होंने 2003 से खेती शुरू की. शुरू से ही वे ऐसी-ऐसी चीजों की खेती कर रहे हैं, जो राज्य में कहीं और नहीं होती। इनमें रंग-बिरंगी सब्जियों के साथ रंग-बिरंगे अनाज भी शामिल हैं। साथ ही बताया कि उन्होंने हरियाणा से काले प्याज भी मंगाया था। उन्होंने फरवरी में रोपा था। मई आते ही उनसे काले प्याज की उपज होने लगी है। फिलहाल उन्होंने इसकी खेती एक कठ्ठे में की है। इससे तकरीबन 250-300 किलोग्राम प्याज की उपज हुई है। साथ ही बताया कि अब खुद से इसके बीज का भी उत्पादन करेंगे। जबकि बिहार यूपी समेत अन्य राज्यों के किसान उनसे इस बीज को 5000 रुपये प्रति किलोग्राम तक खरीदने के लिए तैयार हैं।
जिला कृषी पदाधिकारी प्रविण कुमार राय ने बताया कि इस तरह की खेती समय की मांग है इससे कम लागत मे अधिक मुनाफा होता है। साथ ही काला प्याज, काला धान जैसे फसल मे पोषक तत्व अधिक पाया जाता है। जो स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से भी काफी लाभदायक है, इससे किसानो की आमदनी भी बढेगी। एंटीऑक्सीडेंट सहित इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं। दरअसल काले प्याज की खेती राज्य में पहली बार हुई है। बीज के लिए किसानों में लाइन लगी हुई है। तो देर किस बात कि चलें आइये बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज प्रखंड अंतर्गत मुशहरवा गाँव में जहाँ आपकी मुलाकात प्रगतिशील किसान कमलेश चौबे जी से होगी। आये और अधिक से अधिक उत्पादन कर मुनाफा कमा सकते है।
बिहार में पहली बार हुई काले प्याज की खेती, किसान कमलेश चौबे ने किया कमाल।
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