जनप्रतिनिधियों का ध्यान सिर्फ वर्ग विशेष को खुश करने में, सार्वजनिक कार्य एवं किसानों के कार्यों में कोई रुचि नहीं।

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बगहा। बगहा दो प्रखंड के ग्राम पंचायत राज पैकवलिया मर्यादपुर स्थित दोन नहर के मरजादपुर पूल से एक पइन जो रमवलिया बजडा़ होते हुए खुरखुरवा कुट्टी तक जाती है उक्त पइन से करीब हजारों लोगों के खेतों में पटवन होती है लेकिन‌ साफ सफाई के अभाव में विगत 4, 5 वर्षों से लोगों के खेतों में पटवन नहीं हो पा रही है। जिससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अगर बात करें अतिक्रमण की तो किसी जगह पर प्राइवेट विद्यालय तो किसी जगह पर गृहिणी अपने-अपने दरवाजे के सामने मिट्टी भराई कर दिए हैं। जैसे कि अपना निजी खतियानी भूमि हो अगर बात करें जनप्रतिनिधियों की तो उनको इन सभी कार्यों में कोई रुचि नहीं है क्योंकि यह काम चट मंगनी पट ब्याह वाली कहावत जैसा नहीं होता है मनरेगा से मजदूरों की मजदूरी में थोड़ी सी लेट लतीफी होती है, इससे माननीय लोग बहुत ही आहत है, और दूसरे कार्यों में जैसे आवास में इससे लाभुकों से तुरंत आवास की राशि दिलाने हेतु 15 से ₹20000 नजराना वसूल कर लिया जाता है और पहली ही किस्त में सरकार द्वारा ₹45000 का किस्त दिला दिया जाता है जनप्रतिनिधियों एवं आवास सहायकों की इसमें भूमिका बहुत ही अहम है,‌ लाभुक भले ही अपने घरों का निर्माण नहीं करें लेकिन अगर माननीय लोगों का आशीर्वाद प्राप्त रहे तो तीनों किस्त आवास सहायकों से जिओ ट्रैकिंग करवा कर दिला दिया जाता है हाल का मामला पंचायत स्थित वार्ड नंबर 7 खुरखुरवा में करीब 4 लोगों को वैसे ही तीनों ‌किस्तों कि आवास की राशि मुखिया एवं आवास सहायकों की मिलीभगत से कराई गई है जो लाभुक एक‌ भी ईंट नहीं रखें है बिना मकान का कार्य कराए आवास की राशि देने के मामले पर आवास सहायक सत्यजीत सरकार से वार्ता हुई उन्होंने सारे मामले को सुन लिया परंतु जवाब देने में आनाकानी करते रह गए और यह पूछने लग गए कि आपको किस ने यह जानकारी दी है उसके बाद लाभुकों का नाम बताने के लिए बोले तत्पश्चात दोबारा कॉल लगाने पर लगातार तीन बार फोन शाम 4:48 मिनट पर किया‌ गया लेकिन उन्होंने अपना फोन स्विच ऑफ कर लिया जो यह दर्शाता है कि सच्चाई से कोई रूबरू नहीं होना चाहता है‌ ,बता दें कि विगत वर्ष अपने हठतैली कार्यशैली को लेकर पूर्व पंचायत सचिव से मर्यादपुर‌ चौक में कहासुनी तू तू मैं मैं एवं हल्की धक्का मुक्की की घटना की जो वीडियो तथा आवास में धांधली कि वीडियो वायरल हो रही थी उससे एक तरह का पंचायत में वार्ड सदस्यों को भयभीत कर दिया गया है वार्ड सदस्य एवं अन्य छोटे ‌कर्मी जो ‌मुखिया‌ के निगरानी में कुछ कार्यों को करते हैं वह डरे एवं सहमे हुए हैं जिसका नाजायज फायदा पंचायत के मुखिया उठा रहे हैं और बेरोकटोक बेखौफ होकर मानक को ताक पर रखकर लोकल बालू एवं सफेद गिट्टी तथा घटिया किस्म के सीमेंट से कार्य करा रहे हैं जो जांच का विषय है लोगों ने बगहा अनुमंडल पदाधिकारी से इस मामले की जांच की मांग की है। मामले में अगर जांच होती है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है ग्रामीणों ने मांग किया है कि जिस लोकल बालू से सभी सरकारी कार्य को कराया जा रहा है वह मुखिया के अपने ही खेत की बालू है जो यह दर्शाता है नियम कि धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।इसी तरह अगर बात किया जाए षष्टम पंद्रहवीं एवं अन्य मदों से तो जानकारी के मुताबिक इधर चेक काटा जाता है और उधर पूरे ब्लॉक के जाने-माने तथा पदाधिकारियों के चहेते वेंडर ‌ ठिकेदार ‌ तुरंत पैसा जनप्रतिनिधियों को दे दिया जाता है ,हम बात करें अगर पंचायत सचिव एवं जेईई की तो इनको विकास की गुणवत्ता से कोई मतलब नहीं है चाहे वह कार्य किसी तरह से भी हो उनको बस अपने हिस्से का फुल चढ़ावा चाहिए ‌वही हाल जल जीवन हरियाली मिशन के अंतर्गत भले ही कुआं के ऊपर से ही जीर्णोद्धार हो जाए लेकिन वह कूड़ा कचरा से कुआं भरा हो इन साहेबो को ‌कोई फर्क नहीं पड़ता वैसे ही अगर देखा जाए तो सिर्फ 12‌लाख से 14 लाख 18 लाख तक छठ घाट पर रुपए खर्च किए जाते हैं तथा ढ़ाई से 3 लाख चार लाख रुपयों का चबूतरा बनाया जाता है लेकिन किसानों को एवं ग्रामीणों को जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस होती है उसको दरकिनार कर दिया जाता है ग्रामीण कितने उम्मीदों के साथ पंचायतों में मुखिया को निर्वाचित करते हैं परंतु जीत के बाद सभी कार्यों में धार्मिक चश्मे से देखकर कार्य कराया जाता है जो बड़ा ही आश्चर्य होता है तथा हास्यास्पद लगता है , सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पैकवालिया मर्यादपुर पंचायत स्थित बड़े जन प्रतिनिधियों का अक्सर रवैया ठीक नहीं है। बहर हाल दोन कैनाल से पईन की सफाई कार्य पर पंचायत के पीआरएस मनोज कुमार ने बताया कि उक्त ‌पइन की सफाई योजना में देखा जाएगा तथा योजना में अगर चयनित है तो स्वीकृति प्राप्त कर कार्य कराया जाएगा। वहीं सूत्रों से पता चला कि आम सभा एवं ग्राम सभा में वैसे मामले को कागजी प्रक्रिया पूरा कर बिना लोगों से समस्याओं को जाने हुए अपने मनमर्जी तरीके से ही कुछ मामलों को चिन्हित कर लिया जाता है जोकि नियम के विरुद्ध यह कार्य दर्शाता है अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि आखिर दोन कैनाल से हजारों एकड़ जिस पइन से पटवन होती है उसकी सफाई कब तक हो पाती है उपरोक्त सभी बातों को एक विशेष भेंटवार्ता में जदयू के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के जिला महासचिव अंजार अंसारी ने संवाददाता को जानकारी दी है। तथा‌ पंचायत वासियों ने जिले के वरीय पदाधिकारियों से उक्त सभी मामलों पर जांच की मांग की है।

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