पूर्व प्राचार्य ने बताया संस्कृत के शव्दों और वाक्यों के मायने।

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बगहा/मधुबनी। धुबनी प्रखण्ड के राजकीय कृत श्री हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पं0 भरत उपाध्याय ने कहा कि संस्कृत के बारे में आज कुछ ऐसे तथ्यों की जानकारी देंगे जो किसी भी भारतीय का मस्तक गर्व से ऊंचा होगा जाएगा।संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी माना जाता है। संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा है।अरब लोगो की दखलंदाजी से पहले संस्कृत भारत की राष्ट्रीय भाषा थी,नासा के मुताबिक,संस्कृत धरती पर बोली जाने वाली सबसे स्पष्ट भाषा है।संस्कृत में दुनिया की किसी भी भाषा से ज्यादा शब्द है।वर्तमान में संस्कृत के शब्दकोष में 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्द है।संस्कृत किसी भी विषय के लिए एक अद्भुत खजाना है,जैसे हाथी के लिए ही संस्कृत में 100 से ज्यादा शब्द है।नासा के पास संस्कृत में ताड़पत्रो पर लिखी 60,000 पांडुलिपियां है जिन पर नासा रिसर्च कर रहा है।फ़ोबर्स मैगज़ीन ने जुलाई 1987 में संस्कृत को कम्प्यूटर सॉफ्टवेर के लिए सबसे बेहतर भाषा माना था।किसी और भाषा के मुकाबले संस्कृत में सबसे कम शब्दो में वाक्य पूरा हो जाता है।संस्कृत दुनिया की अकेली ऐसी भाषा है जिसे बोलने में जीभ की सभी मांसपेशियो का इस्तेमाल होता है।
अमेरिकन हिंदु युनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमेह,कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाएगा,संस्कृत में बात करने से मानव शरीरका तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश (PositiveCharges) के साथ सक्रिय हो जाता है।संस्कृत स्पीच थेरेपी में भी मददगार है यह एकाग्रता को बढ़ाती है।कर्नाटक के मुत्तुर गांव के लोग केवल संस्कृत में ही बात करते है।सुधर्मा संस्कृत का पहला अखबार था,जो 1970 में शुरू हुआ था।आज भी इसका ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध है।
जर्मनी में बड़ी संख्या में संस्कृतभाषियो की मांग है। जर्मनी की 14 यूनिवर्सिटीज़ में संस्कृत पढ़ाई जाती है।
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तोउनके वाक्य उलट हो जाते थे।इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था।उन्होंने कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई. आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं। जैसे-
“अहम् विद्यालयं गच्छामि। “विद्यालयं गच्छामि अहम्”गच्छामि अहम् विद्यालयं”उक्त तीनो के अर्थ में कोई अंतर नहीं है।आपको जानकर हैरानी होगी कि कम्प्यूटर द्वारा गणित के सवालो को हल करने वाली विधि यानि Algorithms संस्कृत में बने है ना कि अंग्रेजी में।नासा के वैज्ञानिको द्वारा बनाए जा रहे 6th और 7 वी जेनरेशन सुपर कंप्यूटर संस्कृतभाषा पर आधारित होंगे जो 2034 तक बनकर तैयार हो जाएंगे।
संस्कृत सीखने से दिमाग तेज हो जाता है और याद करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसलिए इंग्लैंड और आयरलैंड के कई स्कूलो में संस्कृत को अनिवार्य विषय बना दिया है।इस समय दुनिया के 17 से ज्यादा देशो के कम से कम एक विश्वविद्यालय में तकनीकी शिक्षा के कोर्सेस में संस्कृत पढ़ाई जाती है।जो भारत के लिए गर्व की बात है।

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