क्याकिंग एवं कैनोईंग में परचम लहरायेंगे जिले के युवा, पश्चिमी चम्पारण से भी तय किया जाएगा ओलम्पिक तक का सफर।

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बेतिया। जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार ने कहा कि पश्चिमी चम्पारण जिले की पावन धरती ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर की धरती रही है। जहां एक ओर इसकी पवित्र धरती महात्मा गांधी की कर्मभूमि के लिए प्रसिद्ध है, वहीं दूसरी ओर यह वाल्मिकी की तपोभूमि एवं वाल्मिकी टाईगर रिजर्व के लिए विश्व मानचित्र पर अंकित है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी चम्पारण में पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं हैं। राज्य सरकार की ओर से टूरिज्म के विकास में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में जिले के प्रवेश द्वार अमवा मन में वाटर एडवेंचर्स स्पोर्ट्स की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार से प्राप्त निदेश के आलोक में काफी बेहतर प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अमवा मन (झील) जिले के प्रवेश द्वार पर अवस्थित एक बहुत ही खूबसूरत एवं मनोरम प्राकृतिक जलाशय है। अमवा मन की नैसर्गिक छटां अत्यंत ही निराली है। अमवा मन को शीघ्र ही पर्यटन स्थल, एडवेंचर्स वाटर स्पोर्ट्स के रूप में जाना जा रहा है। ट्रायल के तौर पर वर्तमान में अमवा मन में पैडल बोट, बनाना राइड, जेट स्की, जॉर्बिंग रोलर, पारा सेलिंग, कयाक आदि कराया जा रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि अमवा मन में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। साथ ही पर्यटन के विकास के साथ-साथ स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा। पर्यटकों की सुविधा के मद्देनजर कैंटिन, शुद्ध पेयजल, मॉड्यूलर शौचालय, प्रिफैब चेंजिंग रूम, पार्किंग, टिकट काउंटर, हाउस किपिंग आदि की भी व्यवस्था कराई गई है। जिलाधिकारी ने कहा कि अमवा मन इनलैंड वाटर है, जिसमें गर्मी के दिनों में भी वाटर लेवल मेंटेन रहता है। इसकी इसी खासियत के कारण अमवा मन में वाटर एडवेर्चस स्पोर्टस के तहत क्याकिंग एवं कैनोईंग के क्षेत्र में भी असीम संभवनाए हैं।उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है, जब एक ही छत के नीचे पर्यटन विकास के लिए टूर ऑपरेटर्स एवं क्याकिंग एवं कैनोईंग के लिए 50 से अधिक मछुआरों के साथ-साथ खेल शिक्षक एवं क्याकिंग एवं कैनोईंग के प्रशिक्षकों के साथ बैठक की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि यहां के लोग काफी जीवट हैं, जिनमें कुछ कर गुजरे की ताकत है। इसी का प्रतिफल है कि आज हम सभी एक जगह पर इकठ्ठा हो सके हैं। उन्होंने कहा कि यहां के मछुआरों की आजीविका मछली मारने तक ही सिमित है, जो बाढ़ के समय में लगभग बंद हो जाती है। किंतु इन मछुआरों में जन्म से ही नाव चलाने एवं तैराकी की अनूठी कला समावेशित है, जिसका सही उपयोग सही तरीके के प्रशिक्षण के अभाव में ये नहीं कर पाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस अनूठी कला का सदुपयोग करने हेतु सभी को प्रयास करना होगा ताकि ये मछुआरे राज्य स्तर के खेल गलियारे से होकर विश्वस्तरीय ओलम्पिक खेल तक का सफर पूरा कर सकें। उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि मेरी आँखों में कुछ सपने हैं, जिन्हें मैं आपकी आंखों में भी देखना चाहता हूँ। मेरी इच्छा है कि यहां के लोग भी ओलम्पिक खेल तक का सफर पूरा करें। परम्परिक तौर पर आप जो कर रहे हैं, उसे बस एक प्रशिक्षक की उपस्थिति में तराशना है, जिसमें सभी का सहयोग चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल वॉटर एक्टिविटी का लोग काफी लुत्फ उठा रहे हैं। आज कल वैकेषन के दौरान वॉटर एक्टिविटी को लोक अधिक प्रिफर कर रहे हैं। क्याकिंग एक वॉटर एक्टिविटी है, जिसमें छोटी नाव जिसे ‘कयाक’ कहते हैं, उसपर बैठकर पानी में तैरा जाता है। जिलाधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा अंतराष्ट्रीय/राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देने हेतु बिहार राज्य खेल पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान करने की योजना लाया गया है। इसके तहत राज्य के वैसे खिलाड़ी जिन्होंने अंतराष्ट्रीय/राष्ट्रीय/अखिल भारतीय खेलों में उपलब्धि प्राप्त कर देश अथवा राज्य को गौरवान्वित किया हो, इनके द्वारा भविष्य में उच्च स्तरीय प्रदर्शन एवं उपलब्धि प्राप्त किए जाने हेतु उत्साहवर्धन के साथ ही राज्य के सभी आयु वर्ग के खिलाड़ियों द्वारा महनत कर उच्च स्तरीय प्रदर्शन किए जाने हेतु प्रेरित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है ताकि खेल जगत में राष्ट्र एवं बिहार राज्य गौरवान्वित हो सके। इसके तहत क्याकिंग एवं केनोईंग को भी सम्मिलित किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि जहां साउथ एशियन गेम्स के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ी को क्रमशः 20 लाख, 15 लाख एवं 10 लाख के पुरस्कार का प्रावधान किया गया है, वहीं ओलम्पिक गेम्स में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ी को क्रमशः 2 करोड़, 1.5 करोड़ एवं 1 करोड़ के पुरस्कार का प्रावधान किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि खिलाड़ियों को सम्मानित कराने हेतू न्यूनतम 20,000/- पुरस्कार का भी प्रावधान है, वहीं मान्यता प्राप्त अधिकारिक अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मात्र देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को भी राष्ट्रीय स्तर के विजेता के बराबर पुरस्कार राशि देय होगा। बैठक के दौरान बिहार क्याकिंग एवं कैनोईंग एसोशिएसन, पटना के सचिव श्री कुमार सिद्धार्थ अपनी टीम के साथ उपस्थित थे। इनके द्वारा बतलाया गया कि अमवा मन क्याकिंग के लिए सर्वथा उपयुक्त है। अमवा मन सीधा स्ट्रेच में होने के कारण यहां काफी उच्च स्तर का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों में क्याकिंग सीखने का काफी उत्साह है। उन्होंने कहा कि आज उनके द्वारा कुल 32 लड़कों एवं 04 लड़कों का क्याकिंग चलाने का ट्रायल लिया गया है, सभी के द्वारा प्रथम चरण में काफी उत्कृष्ठ प्रदर्शन किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इन लड़कों एवं लड़कियों को बस थोड़े प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यदि अमवा मन में क्याकिंग एवं केनोईंग वाटर स्पोर्ट्स का आयोजन होता है तो राज्य स्तर के प्रतिभावान खिलाड़ियों को अच्छा अवसर मिल सकेगा। जिलाधिकारी के द्वारा पश्चिमी चम्पारण चैप्टर प्रारम्भ कराएं। हर संभव सहायता प्रदान किया जाएगा। बिहार क्याकिंग एवं कैनोईंग एसोशिएसन, पटना के श्री सुधांसु, जो घोघा, भागलपुर के निवासी हैं, के द्वारा बतलाया गया कि वे 2019 से क्याकिंग कर रहे हैं। 21 कि.मी. के मैराथन में 11वां स्थान प्राप्त कर चुके हैं। वहीं प्रिंस, जो कि लखीसराय के निवासी हैं के द्वारा बतलाया गया कि वे दो साल से क्याकिंग कर रहे हैं। भोपाल में आयोजित नेशनल गेम्स में पार्टिसिपेट कर चुके हैं। बारी-बारी से सुधांषु एवं प्रिंस के द्वारा क्याकिंग एवं कैनोईंग की बेसिक जानकारी दी गई तथा बतलाया गया कि क्याकिंग से सेना में नौकरी भी पाने का सुनहरा अवसर रहता है। ममता, जो कि अमवा मन की ही निवासी हैं, के द्वारा जानकारी देते हुए बतलाया गया कि वे क्याकिंग जानती हैं तथा विशाखापत्तनम में नेशनल गेम्स में हिस्सा ले चुकी हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर और भी लड़कियां हैं, जो क्याकिंग जानतीं हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि वह सभी बच्चियों की लाईन लिस्टिंग करके, जिला खेल पदाधिकारी को उपलब्ध करा दें, ताकि उनकी भी हिस्सेदारी सुनिश्चित कराई जा सके।

जिलाधिकारी ने कहा कि अक्टूबर, 23 में मेघालय में राष्ट्रीय प्रतियोगिता होना है। साथ ही लद्दाख एवं मालाबार में भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा होनी है। मैं चाहता हूं कि उक्त प्रतियोगिताओं में यहां के भी बच्चे भी प्रशिक्षण प्राप्त कर हिस्सा लें। उन्होंने कहा कि जीतने की इच्छा से ही बस भाग नहीं लेना है, बल्कि सिखने की मनोदशा के साथ भाग लेना है। मेडल भले ही ना लाएं लेकिन सीखकर आएं। उन्हांने आगे कहा कि इस प्रकार के और भी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना है ताकि सीखने की प्रवृत्ति के साथ ही ओलम्पिक तक सफर पूरा किया जा सके।जिलाधिकारी ने कहा कि जिले में क्याकिंग की असीम संभावनाएं हैं, बस लोगों को चिन्हित करने की आवश्यकता है। उन्होंने जिला खेल पदाधिकारी एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी को इसी माह में होली के बाद से क्याकिंग प्रशिक्षण का चम्पारण चैप्टर प्रारम्भ कराने का निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि जो भी लोग क्याकिंग प्रशिक्षण के लिए इच्छा दिखाते हैं, उनकी लिस्टिंग करें। जिलाधिकारी ने बिहार क्याकिंग एवं कैनोईंग एसोशिएसन, पटना के सचिव कुमार सिद्धार्थ को भी प्रशिक्षण की तैयारियां प्रारम्भ करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने जिलावासियों से आह्वान किया कि वे किसी भी प्रकार की सहायता के लिए जिला खेल पदाधिकारी से मो.नं. 7870066892 एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी से उनके मो.नं. 9473191585 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

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