विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर कहते हैं :- पं 0 भरत उपाध्याय

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हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। मान्‍यता है कि उन्‍होंने देवताओं के लिए अनेकों भव्‍य महलों, आलीशान भवनों, हथियारों और सिंहासनों का निर्माण किया। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था। चार युगों में विश्वकर्मा ने कई नगर और भवनों का निर्माण किया। कालक्रम में देखें तो सबसे पहले सतयुग में उन्होंने स्वर्गलोक का निर्माण किया, त्रेता युग में लंका का, द्वापर में द्वारका का और कलियुग के आरम्भ के 50 वर्ष पूर्व हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। विश्वकर्मा ने ही जगन्नाथ पुरी के जगन्नाथ मन्दिर में स्थित विशाल मूर्तियों (कृष्ण, सुभद्रा और बलराम) का निर्माण किया। भगवान विश्‍वकर्मा को ‘देवताओं का शिल्‍पकार’, ‘वास्‍तुशास्‍त्र का देवता’, ‘प्रथम इंजीनियर’, ‘देवताओं का इंजीनियर’ और ‘मशीन का देवता’ कहा जाता है। विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन को विश्वकर्मा पूजा, विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा के सातवें धर्मपुत्र के रुप में जन्म लिया था।विश्वकर्मा जयन्ती भारत के कर्नाटक, असम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा और त्रिपुरा आदि प्रदेशों में 17 सितम्बर को मनायी जाती है। यह उत्सव प्रायः कारखानों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में (प्रायः शॉप फ्लोर पर) मनाया जाता है।
विश्वकर्मा को विश्व का निर्माता तथा देवताओं का वास्तुकार माना गया है। विष्णु पुराण में विश्वकर्मा को देव बढ़ई कहा गया है। जाति के सन्दर्भ में, विश्वकर्मा के अन्तर्गत पांच जातियां गिनी जातीहैं।मिस्त्री,लोहार,कुम्भार,सोनार, मूर्तिकार इन पांचो जातियों के लोग विश्वकर्मा को ही अपना इष्टदेवता मानते हैं। वास्तव में विश्वकर्मा एक हिन्दू देवता हैं और उन्हीं के नाम पर विभिन्न प्रकार के शिल्प कार्य करने वाली जातियाँ अपने को ‘विश्वकर्मा’ कहतीं हैं। मान्यता है कि विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है। अगर मनुष्य को शिल्प ज्ञान ना हो तो वह निर्माण कार्य नहीं कर पाएगा निर्माण नहीं होगा तो भवन और इमारतें नहीं बनेंगी, जिससे मानव सभ्‍यता का विकास रुक जाएगा। सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक विकास के लिए शिल्प ज्ञान का होना बेहद जरूरी है अगर शिल्‍प ज्ञान जरूरी है तो शिल्‍प के देवता विश्‍वकर्मा की पूजा का महत्व भी बढ़ जाता है।

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