भगवान श्रीकृष्ण को गोविन्द नाम सबसे प्रिय है :- पं0 भरत उपाध्याय

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श्री कृष्ण के अनेक नाम है उनमें एक नाम गोबिंद है। ठाकुर जी को यह नाम बहुत प्रिय है। गोवेर्धन लीला के समय जब इंद्रदेव वर्षा और विनाश का तांडव करके थक गये और वृन्दावन वासियों का कुछ भी अहित न कर पाए तो बहुत लज्जित हुए।वह भगवान की लीला व शक्ति पहचान चुके थे इंद्रदेव भगवान से क्षमा मांगने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे। तभी मधुर ध्वनियों में गौ माता सुरभि वहां प्रकट हुई। इंद्र को सम्बोधित करते हुए बोली हे देवराज इंद्र मैंने अब तक आप को गौ वंश का रक्षक समझा था। किन्तु अब मेरा भ्रम टूट चुका है, आपने अपने अहँकार के कारण वृन्दावन के सम्पूर्ण गौ वंश समाप्त करने के लिये अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग किया, किन्तु धन्य हैं भगवान श्रीकृष्ण जिन्होंने गौ वंश ही नहीं साथमें समस्त वृन्दावनवासियों की भी आप के प्रकोप से रक्षा की सत्य में व ही गौ रक्षक है अतः मैं जा रही हूं वृन्दावन श्रीहरि के चरणों की वंदना करने
यह कह गौ माता सुरभि वृन्दावन की ओर चल दी। वृन्दावन में वह भगवान श्रीकृष्ण के सम्मुख प्रकट हुईं।भगवान बहुत प्रसन्न हुए व उनके आने का कारण पूछा! तब माता सुरभि बोली- हे तीनों लोकों के पालनहार, आज आपने अपनी लीला से वृन्दावन के समस्त गौ वंश की रक्षा की है। मैं आप के चरणों में वंदना करती हूं, हे नाथ आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ। हे स्वामी यूं तो समस्त सृष्टि आपके संकेत मात्र से ही चलायमान है आप ही समस्त सृष्टि की उत्पत्ति का कारण हैं आपही एक मात्र दाता हैं किन्तु हे स्वामी आज मैं आपको कुछ देना चाहती हूं कृपया स्वीकार करें। तब भगवान प्रेमपूर्वक बोले: हे माता आप मुझको अपनी माता के समान ही प्रिय हैं। आप जो भी देंगी उसको प्राप्त करना मेरा सौभग्य होगा। यह सुनकर माता सुरभि बहुत प्रसन्न हुई और बोली: *स्वामी संसार में आप के अनेक नाम हैं मैं भी आपको एक नाम देना चाहती हूं कृपया स्वीकार करें भगवान अत्यंत प्रसन्नतापूर्वक बोले शीघ्र बताए माता। गौ माता सुरभि बोली नाथ आपने समस्त गौवंश की रक्षा की है इस लिये आज से आप गोविन्द नाम से पुकारे जायगे भगवान यह नाम सुनकर प्रसन्नता से झूमने लगे। भगवान बोले मेरे सभी नामों में मुझे गोविन्द सब से प्रिय होगा मैं वचन देता हूँ जो भी भक्त मुझको गोविन्द नाम से पुकारेगा उसके सभी दुःख मैं स्वयं वहन करूँगा। तभी देवराज इंद्र वहां पहुचे और भगवान से क्षमा मांगी और गोविन्द नाम से वंदना की।भगवान ने प्रसन्न हो कर इंद्र को क्षमा कर दिया, हरे कृष्ण।

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