आप गाँव देहात में कही- सुनी जाने वाली सारी कहानियां इकट्ठी कर लीजिये! आपको एक भी कथा न मिलेगी- जिसमें भगवान भोलेनाथ माता गौरी से नाराज हुए हों। हर बार माता नाराज होती हैं- और हमारे बाबा उन्हें मनाते फिरते हैं। भगवान भोलेनाथ की गृहस्थी में- डोर सदैव माता के हाथ में रही।_
माता सती ने तय किया कि- उन्हें पतिरूप में शिव ही चाहिए,बाबा उन्हें मिल गए। पिता के यज्ञ में माता जब बिना न्योते के जाने लगीं- तो बाबा मित्र की भांति समझाते रहे- पर रोका नहीं, माता गयीं और.!_पति के अपमान पर माता ने आत्मदाह कर लिया। संसार का स्वामी साधारण जीवों की भांति बिलख पड़ा! शोक, क्रंदन, प्रतिशोध, वैराग्य.हर भाव को ऐसे धारण किया- कि वही सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बन गया।_ पत्नी के जाने के बाद प्रेम को वैसे कोई क्या ही निभा पायेगा?_ माता का दुबारा जन्म हुआ- होना ही था! शिव की शक्ति उनसे दूर कैसे रह सकती थीं.?_ जबतक वे लौट कर नहीं आईं- तबतक बाबा तपस्या में रहे,संसार और संसारिकता से दूर रहे- सबकुछ छोड़ दिया था बाबा ने.!_ माता आईं तो बाबा जगे। इस बार भी चयन माता का था। हमारे बाबा तो बैरागी भाव के कारण बचने का प्रयास करते रहे। स्वयं ही सप्तर्षियों को भेज कर- अपनी शिकायत करावाई माता के सामने- बताइये भला! अपना ही ब्याह कौन कटवाता है भाई.? माता ने कहा: ब्याह होगा, तो अंततः बाबा भी मान गए। माता की इच्छा का अनादर कभी किया ही नहीं उन्होंने.!_ माँ काली की कथा याद है न.? माता ने ही रक्तबीज से युद्ध के समय काली का रूप लिया था! असुरों का संहार करती, उनका रक्त पीती- मां !कब सृष्टि की संहारक बन गयी पता ही नहीं चला- क्रोध ऐसा ही होता है न.? अब माँ को रोकना था- पर उनको कौन रोके.? तो सबने कहा, “जिनकी गृहस्थी है- वे ही सम्भालें.!” आप आदर्श देखिये,बाबा ने कैसे रोका! जा कर माँ के आगे भूमि पर लेट गए- दौड़ती माँ का- पैर पड़ा बाबा की छाती पर- तब उनकी चेतना लौटी- “अरे… स्वामी के ऊपर पैर रख दिया मैंने..? शिव.. शिव..अनर्थ हो गया।” लज्जित माता रुक गयीं।_बताइये तो! क्रोधित पत्नी को रोकने के लिए ऐसा उपाय.? कहीं और सुना है- *पत्नी का इतना सम्मान…? पत्नी की प्रतिष्ठा का इतना ध्यान कोई और रख पायेगा भला…? सम्भव ही नहीं! यह केवल और केवल बाबा ही कर सकते हैं।_ मैं सामान्य देहाती व्यक्ति-शास्त्र नहीं जानता। पर परम्परा से सुनी कथाओं के आधार पर कह सकता हूँ- कि, बाबा सृष्टि के सर्वश्रेष्ठ पति हैं। वे स्त्री सम्मान के भी देवता हैं! यूँ ही नहीं परम्परा से भारत की हर बेटी- माता गौरा से- उनके पति जैसा पति मांगती रही हैं!_ _ संसार के हर पति को शिव के समान हो जाना चाहिये_सब पर बाबा की कृपा बनी रहे…!_