बगहा/मधुबनी। मधुबनी प्रखण्ड के राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी में माता सरस्वती की विधिपूर्वक पूजन होने के बाद कल से शुरू हो रहे मैट्रिक की परीक्षा में सफलता का मंत्र देते हुए पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय गुरु जी ने कहा कि- बिना गुरु के ज्ञान संभव नहीं है! गुरु के संगत से ही मानव की बुद्धि का विकास होता है,जो परीक्षार्थी पवित्र मन से गुरु के द्वारा दी गई शिक्षा ग्रहण किए हैं वे निश्चित ही सफल होंगे।
उन्होंने माता सरस्वती के प्राकट्य के विषय में कहा कि सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों,खास तौर पर मनुष्य योनि की रचना की।अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे।उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है।विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का।पृथ्वी पर जलकण विखरते ही उसमें कंपन होने लगा।इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ ।यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था,जिसके एक हाथ में बीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था।अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुर नाद किया, संसार के समस्त जीव- जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई।जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया।पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा,वीणा वादिनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं।संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं।बसंत पंचमी के दिन को इनकी जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है- प्राणोदेवीसरस्वतीवाजेभिर्वजिनीवती धीनामणि त्रयवतु। सरस्वती के रूप में यह हमारी बुद्धि प्रज्ञा तथा मनोवृतियों की संरक्षिका हैं।हममें जो आचार और मेंधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इस अवसर पर प्रधानाचार्य संतोष कुमार त्रिपाठी, आचार्य नीरज शांडिल्य, बिपिन बिहारी तिवारी, जवाहर प्रसाद यादव,संगीता मिश्रा, श्रीमती आकांक्षा, राजेश रमण कुमार सिंह ,मनोज राम, सहित सभी शिक्षक कर्मचारी श्रद्धा पूर्वक पूजन कर मां सरस्वती से परीक्षार्थियों की सफलता एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।