बगहा/ठकराहा। ईष्ठ देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा हर्षोल्लास व धूमधाम से कायस्थ समाज के लोगों ने गुरुवार को किया। इस दौरान समाज के लोगों ने कलम-दवात की पूजा कर भगवान चित्रगुप्त को नमन किया। ठकराहा दुर्गा मंदिर परिसर में स्थित चित्रगुप्त मंदिर पर कायस्थ समाज के लोग जुटे विधि विधान से पूजन-अर्चन हुआ।और कथा का श्रवण कर भगवान चित्रगुप्त की आरती और स्तुति पढ़ी गई उसके बाद हवन के साथ पूजा संपन्न हुआ। गुरुवार को कायस्थ समाज ने लेखन कार्य को बंद रखा।कायस्थ समाज के अध्यक्ष धीरज श्रीवास्तव ने बताया की पौराणिक मान्यताओ के अनुसार इस समाज के लिए यह दिन नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन माना जाता है इसी दिन को नवीन बही खताओ पर श्री लिख कर कार्य प्रारंभ किया जाता है कायस्थ समाज के लोग और कारोबारी तबका चंद्रगुप्त की पूजा कर स्मरण बुद्धि और धन वृद्धि की कामना करते है। साथ ही भैयादूज और गोवर्धन पूजा पूरे चंपारण में गुरुवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लड़कियों और महिलाओं ने सुबह गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया और मूसल से कूटकर भाइयों के दीर्घायु होने की कामना की। सुबह से ही सभी बहनें पर्व की तैयारी में जुट गई थीं। भाई बहन के इस पावन त्यौहार के मौके पर बहनों ने भाइयों की दीर्घ आयु के लिए भगवान से वरदान मांगे और माथे पर तिलक लगा कर मिठाई खिलाया। और भाईयो ने बहनों को उपहार भेंट किए। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को गोवर्धन पूजा होती है। मान्यता है कि छह माह से सो रहे भगवान विष्णु गोवर्धन पूजा के दिन ही निद्रा का त्याग करते हैं। इसीलिए इन छह महीनों में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते। परंतु गोवर्धन पूजा के बाद से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।